Police Custody Death Report: उत्तर प्रदेश के कासगंज में अल्ताफ नाम के एक मुस्लिम युवक की पुलिस की कस्टडी में हुई मौत के बाद एक बार फिर से पुलिस पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं. अब पुलिस कस्टडी में मौत को लेकर एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. दरअसल, गृह मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में पिछले 20 सालों में 1,888 लोगों की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ 893 केस दर्ज किए गए और 358 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर हुई. हालांकि सिर्फ 26 पुलिसकर्मियों को सजा दी गई.
अल्ताफ की मौत के बाद उठे सवाल
एनसीआरबी के ये आंकड़े ऐसे वक्त में आए हैं, जब हाल ही में उत्तर प्रदेश के कासगंज में 22 साल के अल्ताफ नाम के युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. अल्ताफ पर एक नाबालिग हिंदू लड़की को भगाने का आरोप लगा था, जिसके बाद उसे हिरासत में लिया गया था. अल्ताफ के परिजन का आरोप है कि पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने की वजह से उसकी मौत हुई.
वहीं पुलिस के मुताबिक, शौचालय में उसने जैकेट के हुक में लगी डोरी को नल में फंसा कर अपना गला घोंटने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि आरोपी के नहीं लौटने पर पुलिसकर्मी शौचालय गए और वहां उन्होंने अल्ताफ को गंभीर अवस्था में पाया, तत्काल उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी मौत हो गई. इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोप में पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि हिरासत में हुई इस मौत के मामले में विभागीय जांच और मजिस्ट्रेट जांच दोनों जारी है.
2020 में हिरासत में हुई 76 मौतें
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि हिरासत में हुई मौतों के लिए दोषी ठहराए गए 11 पुलिसकर्मियों की सबसे अधिक संख्या 2006 में यूपी में सात और मध्य प्रदेश में चार दोषी पाए गए थे. हालांकि आंकड़ों में ये नहीं बताया गया है कि उन्हें उसी साल सजा दी गई या नहीं. नए आंकड़ों के अनुसार, 2020 में हिरासत में 76 मौतें हुईं, जिसमें गुजरात में सबसे ज्यादा 15 मौतें हुईं. इस सूची में दूसरे राज्य भी शामिल हैं, जिनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल का नाम है. हालांकि पिछले साल इन मामलों में कोई सजा नहीं हुई.
एनसीआरबी ने रिपोर्ट को दो श्रेणियों में बांटा
एनसीआरबी ने साल 2017 से हिरासत में हुई मौत के मामलों में गिरफ्तार पुलिसकर्मियों की सूची भी जारी कर है. पिछले चार सालों में हिरासत में हुई मौतों के सिलसिले में 96 पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया है. हालांकि, इसमें पिछले साल का आंकड़ा शामिल नहीं है. एनसीआरबी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा दिए गए आंकड़ों को दो श्रेणी में "पुलिस हिरासत / लॉकअप में मौत" में बांटा है. यानी जो व्यक्ति रिमांड पर नहीं है और जो रिमांड पर है. पहले श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है लेकिन अभी तक अदालत में पेश नहीं किया गया है, और दूसरी श्रेणी में वे लोग शामिल हैं जो पुलिस/न्यायिक रिमांड में हैं.
NCRB के अनुसार, साल 2001 से 1,185 मौतें “रिमांड पर नहीं होने” के तहत दर्ज हुई हैं और 703 लोगों की हिरासत में मौत “रिमांड पर” के तहत हुईं. वहीं पिछले 20 सालों में हिरासत में हुई मौत के मामलों में पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज 893 मामलों में 518 ऐसे हैं, जिसमें व्यक्ति को रिमांड पर नहीं लिया गया था.
एनसीआरबी की रिपोर्ट पर क्या बोलें रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी?
एनसीआरबी का रिपोर्ट को लेकर रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी प्रकाश सिंह का कहना है कि पुलिस के कामकाज में कमियों को स्वीकार किया जाना चाहिए और उन्हें ठीक किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा “पुलिसकर्मी इन मामलों की ठीक से जांच नहीं करते हैं. वे अपने सहयोगियों का बचाव करने की कोशिश करते हैं, जो निश्चित रूप से गलत है. जब एक व्यक्ति की हिरासत में मृत्यु हो जाती है, तो जिम्मेदार व्यक्ति को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और पुलिस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसे उचित सजा मिले." हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि भारती की आबादी के हिसाब से 20 सालों में हिरासत में हुई 1,888 मौतें ज्यादा नहीं है.
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