कुशीनगर. कुशीनगर के अलग अलग गांव के रहने 10 लोग सोमालिया में फंस गए हैं. विभिन्न गांव वाले ये लोग सरकार से वतन वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं. घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये ब्याज पर रुपया लेकर सोमालिया गये इन लोगों के फंस जाने से घर की हालत खराब हो गई है. सोमालिया जाने वालों के घरों में बड़ी मुश्किल से चूल्हा जल रहा है. परिवार के लोग गांव में मजदूरी करके अपना पेट भर रहे हैं. सोमालिया में फंसे लोगों के इन परिवार की भारत सरकार से मांग है कि किसी तरह उन्हें वापस भारत लाया जाय. सोमालिया जाने वाले सभी लोग एक एजेंट के माध्यम से फरवरी में गये थे, दो महीने तक तो उन्हें तनख्वाह मिली लेकिन इसके बाद कंपनी ने उन्हें तख्वाह देना बंद कर दिया. अब उन्हें ठीक ढंग से खाना भी नहीं दिया जा रहा है. इन मजदूरों ने वीडियो के माध्यम से सामाजिक संस्था मानव सेवा संस्थान से सम्पर्क किया. संस्था के निदेशक राजेश मणि ने बताया कि कुशीनगर के एक मजदूर ने उनसे संपर्क किया था, उसके बाद यह मामला सामने आया है.


मोहित प्रजापति को नहीं मिल रही सैलरी


सोमालिया में फंसा मोहित प्रजापति अपने घर का एकमात्र कमाऊ सदस्य है. उसके परिवार में पत्नी के अलावा 5 बच्चे हैं, जिनमें 4 बेटियां और एक बेटा है. सभी बच्चे छोटे हैं. पहले वह खाड़ी देश में काम करता था लेकिन इस बार वह एक एजेंट के माध्यम से सोमालिया गया था. सोमालिया जाने के लिए उसने अपने परिचितों से लगभग 50 हजार रुपया ब्याज पर लिया था. उसने सोचा था कि वहां जाने के बाद कर्ज चुकता कर देगा. वहां जाने के बाद दो महीने तक उसने रुपया भेजा लेकिन उसके बाद कंपनी ने उसे पैसा देना बंद कर दिया, जिससे मोहित ने भी पैसे भेजने बंद कर दिये. बड़ी मुश्किल से मोहित अपने परिजनों से बात करता था. अपनी पत्नी और बच्चों से बताया कि कंपनी ने उसे पैसा देना बंद कर दिया है और उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया है. कंपनी अब उन्हें बंधक बनाकर जबरस्ती काम कराती है. इतना ही नहीं उन्हें ढंग से खाना भी नहीं दिया जा रहा है. मोहित की कहानी सुनकर परिजन परेशान हैं, वे भारत सरकार से उन्हें वापस बुलाने की मांग कर रहे हैं.


कर्ज चुकता करने के लिये पकड़ी विदेश की राह


बेटी के ब्याह में लिए कर्जे को चुकाने के लिए सुभाष प्रजापति ने भी विदेश की राह पकड़ी थी. एक एजेंट के माध्यम से सुभाष भी अन्य लोगों के साथ सोमालिया गये थे. सोमालिया जाने के लिए उन्होंने अपना खेत गिरवी रखने के साथ ही कुछ लोगों से ब्याज पर पैसा भी उधार लिया था. घर में अकेली पत्नी और बेटे को छोड़कर विदेश की राह पकड़ने वाले सुभाष के साथ भी वही हुआ जो अन्य लोगों के साथ हुआ. कंपनी ने दो महीने के बाद उसे भी पैसा देना मना कर दिया और उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया. अन्य 10 लोगों के साथ ही सुभाष भी बंधक बना हुआ है और यहां घर पर उनकी पत्नी मनभावती देवी घर अकेली रहकर उनकी राह देख रही है. कर्ज को चुकता करने के लिए सुभाष का नाबालिग बेटा गुजरात कमाने चला गया है. कैमरे पर फूट-फूट कर रोने वाले सुभाष की पत्नी मनभावती देवी अपने पति को वापस लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रही है.


रामा प्रजापति का भी वही हाल


सुनहरे सपने लेकर सोमालिया कमाने गये रामा प्रजापति के परिवार की हालत तो और भी खराब है. अपने बूढे बाप के भरोसे अपने दो मासूम बच्चों और पत्नी को छोड़कर गया रामा भी परेशान है. पिता को आशा थी कि रामा के विदेश जाने से घर की माली हालत सुधर जायेगी लेकिन रामा के विदेश जाने के दो माह बाद ही उनका सपना चकनाचूर हो गया. रामा को कंपनी ने बंधक बना लिया है, ना तो उसे पैसा दिया जा रहा है और ना ही उसके खाने का सही से इंतजाम किया है. इतना ही नहीं उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया है, जिससे वे परेशान हो गये हैं. लाख मिन्नत करने के बाद भी कंपनी के नुमाईंदे उन पर रहम नहीं कर रहे हैं. रामा के बूढे पिता बस यही चाह रहे हैं जैसे भी हो उनका बेटा घर वापस आ जाये.


जल्द होगी वतन वापसी


केन्या में भारतीय दूतावास ने ट्वीट के जरिये 21 अक्टूबर को जवाब दिया कि दूतावास सोमालिया के मोगादिशू में फंसे 33 मजदूरों की रिहाई को लेकर सोमालिया सरकार के संपर्क में है. दूतावास ने कहा, ''सोमालिया के विदेश मंत्रालय के निदेशक ने आश्वासन दिया है कि शीघ्र ही इन लोगों के भारत जाने की व्यवस्था हो जाएगी.'' राजेश मणि ने बताया कि उनकी जानकारी के अनुसार वहां फंसे 25 मजदूरों में से 21 मजदूर गोरखपुर मंडल के हैं जिनमें से सात मजदूर गोरखपुर के, 10 कुशीनगर के, तीन देवरिया के जबकि दो-दो मजदूर गोंडा, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर के हैं. इसके अलावा छह मजदूर बिहार के जबकि एक-एक मजदूर पंजाब और हिमाचल प्रदेश के हैं.


ये भी पढ़ें.


बोन टीबी से जूझ रही भदोही की युवती के लिए सोनू सूद ने बढ़ाया मदद का हाथ, करनाल में होगा इलाज