बस्ती, एबीपी गंगा। तीन साल बीत गए, लेकिन अब तक बस्ती का नव निर्माणाधीन 100 शैय्या महिला अस्पताल नहीं बन पाया है। उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी तहसील बस्ती जिले की हरैया तहसील है, जहां एक मई, 2016 को सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे राज किशोर सिंह ने ग्रामीण अंचल में महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए 100 शैय्या के महिला अस्पताल का शिलान्यास किया था। जिसकी लागत लगभग 31 करोड़ थी। धन भी आवंटित हो गया, बस्ती की ही कार्यदायी संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन उत्तर प्रदेश जल निगम बस्ती को सौंपा गया। शिलान्यास होने के बाद कार्य बहुत तेजी से शुरू हुआ था, लेकिन जैसे ही भाजपा की सरकार आई निर्माणाधीन महिला अस्पताल पर संकट ही आ गया।


सरकार बदली लोगों को उम्मीदें जागी कि काम तेजी से शुरू होगा, लेकिन लोगों की उम्मीदों का उल्टा असर देखने को मिला। इस निर्माणाधीन अस्पताल पर धीरे-धीरे करके कार्य बंद होता गया, जहां कार्यदायी संस्था को इस अस्पताल को 2018 में पूरा करके स्वास्थ्य विभाग को हैंड ओवर करना था। वहीं, आज लगभग 70 प्रतिशत कार्य ही हो पाया है।


नव निर्माणाधीन अस्पताल की जमीनी हकीकत जानने के बाद आप भी चौक जाएंगे, इस नव निर्माणाधीन अस्पताल  में न कार्यदायी संस्था का ही कोई कर्मचारी या अधिकारी दिखाई दिया और न ही स्वास्थ्य विभाग का, यहां पर बिखरे हुए सामान और अराजक तत्वों का कब्जा होना पाया गया। ऐसे में यह महिला अस्पताल अब भगवान भरोसे ही बन रहा है।



जहां ग्रामीण अंचल के लोगों को यह उम्मीद थी कि अस्पताल बन जाने से हम लोगों को दूर मुख्यालय पर नहीं जाना पड़ेगा। हम सबकी स्वास्थ्य सुविधाएं यहीं पर मुहैया हो जाएंगी, लेकिन आज धीरे-धीरे लोगों की उम्मीदें धूमिल होती जा रही है। सभी लोग बात करते हुए मौजूदा सरकार को कोसते नजर आए। ऐसे में यहां बड़ा सवाल खड़ा होता है कि जहां सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने का बड़ा दावा करती है। वहीं, इस महिला अस्पताल के कार्यों को पूरा करा कर अस्पताल को सुचारू रूप से चलाने के लिए क्यों नहीं ध्यान दे पा रही है। क्या कारण है, कौन है इसका जिम्मेदार। कब मिलेगा इन ग्रामीण अंचल की महिलाओं को इस महिला अस्पताल के स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ। दरअसल, कहा जा रहा अस्पताल के निर्माण के लिए दिया बजट लटका हुआ है, जिस कारण निर्माण रुक गया है। ऐसे में सवाल अब मौजूदा सरकार पर उठ रहे हैं।