UP MLC चुनाव में सबसे बड़ा सवाल, आखिर किसके खाते में जाएगी 12वीं सीट?
यूपी में विधान परिषद की 12 सीटों पर चुनाव होने हैं. इसके लिये सभी दलों ने अपने स्तर से तैयारी शुरू कर दी हैं.
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटों पर 28 जनवरी को चुनाव होना है. इसके लिए आज से नामांकन की शुरुआत भी हो गई है, हालांकि नामांकन के पहले दिन किसी भी पार्टी के किसी भी उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल नहीं किया है. और तो और अभी तक ना ही बीजेपी ने और ना ही सपा ने अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा ही की है. जो 12 सीटें खाली हो रही है, उनमें तीन पर बीजेपी का कब्जा है. 6 पर सपा का कब्जा है और तकनीकी रूप से 3 सीटें बसपा के पास रही हैं.
12वीं सीट के लिये दिलचस्पी
इस चुनाव में विधायकों की संख्या बल के हिसाब से ये माना जा रहा है कि बीजेपी आसानी से 10 सीटों पर जीत हासिल कर लेगी जबकि समाजवादी पार्टी एक सीट पर आसानी से जीत दर्ज कर लेगी. लेकिन लोगों की दिलचस्पी 12वीं सीट पर है. आखिर ये सीट किसके खाते में जाएगी. क्या संख्या बल ना होते हुए भी बीजेपी इस सीट पर अपना 11 वां उम्मीदवार उतारेगी या फिर राज्यसभा चुनाव की तरह बसपा को वॉकओवर देगी, या जैसा मायावती ने पहले कहा था बीजेपी को इस 11वीं सीट पर सपोर्ट करेंगी या समाजवादी पार्टी दूसरे दलों और निर्दलीयों के सहारे अपना दूसरा उम्मीदवार खड़ा करेगी. ऐसे कई सवाल हैं जो इस 12वीं सीट पर सियासी लोगों के दिमाग में इस वक़्त कौंध रहे हैं.
विधानसभा में दलों की स्थिति
विधानसभा में दलों की स्थिति को अगर देखें तो, बीजेपी के 310 सदस्य, समाजवादी पार्टी के 49 सदस्य हैं. बसपा के 18 सदस्य हैं. अपना दल के 9 सदस्य हैं. कांग्रेस के 7 सदस्य हैं वहीं, सुभासपा के 4 सदस्य हैं. तीन निर्दलीय हैं. एक आरएलडी का विधायक हैं और एक हमारा अपना दल का विधायक है. ये विधानसभा की वर्तमान की स्थिति है.
चुनाव के लिये कुछ ऐसा होगा गणित
विधान परिषद में एक उम्मीदवार जिताने के लिए लगभग 31 वोट की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में बीजेपी अपने 10 उम्मीदवारों को आसानी से जीता ले जाएगी. और अगर उसे बसपा के 18 और अपना दल के 9, सपा, बीएसपी और कांग्रेस के एक एक बागी का साथ मिल जाएगा तो उसका 11 वां उम्मीदवार भी आसानी से जीत जाएगा. लेकिन अगर सपा अगर दूसरा उम्मीदवार उतारती है तो उसे काफी गुणा गणेश करना पड़ेगा. हालांकि राज्य चुनाव में समाजवादी पार्टी ने जोर आजमाइश तो की थी लेकिन वहां समर्थित उम्मीदवार का पर्चा ही खारिज हो गया था.
ऐसी स्थिति में इस बात की संभावना काफी कम है कि सपा अपना दूसरा उम्मीदवार इस एमएलसी चुनाव में उतारे. और ऐसे में अगर बीजेपी 11 सीटों पर और सपा एक सीट पर अपने उम्मीदवार उतारती है तो फिर चुनाव की नौबत ही नहीं आएगी और 12 सदस्यों का निर्विरोध निर्वाचन भी हो जाएगा. हालांकि राजनीति अनिश्चितता से भरी हुई है, और सियासी दल एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए क्या रणनीति अपनाएं इसका इंतजार फिलहाल सभी को है.
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