Ayodhya: अक्षय नवमी के मौके पर आज से शुरू हुई 14 कोसी परिक्रमा, लाखों श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान
अयोध्या में आज अक्षय नवमी से 14 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई है. 14 कोसी परिक्रमा 13 नवंबर को सुबह 8:33 पर समाप्त होगी. इस साल लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है.
Ayodhya News: अयोध्या में आज अक्षय नवमी के अवसर पर 14 कोसी परिक्रमा का प्रारंभ सुबह 10:40 के शुभ मुहूर्त पर हो गया. 14 कोसी परिक्रमा 13 नवंबर को सुबह 8:33 पर समाप्त होगी. इसके लिए प्रशासन द्वारा व्यापक स्तर पर इंतजाम भी किए गए हैं. गौरतलब है कि पिछले 2 वर्षों में कोरोना के चलते सैकड़ों वर्ष पुरानी परिक्रमा बाधित रही. इस वर्ष अब अयोध्या में परिक्रमा मेले पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है. इसके लिए प्रशासन ने व्यापक स्तर पर इंतजाम किए हैं
अक्षय नवमी पर किया गये पुण्य और पूजा का कई गुना ज्यादा लाभ मिलता है
बता दे कि कार्तिक माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु अयोध्या में कल्पवास करते हैं और अक्षय नवमी के पुण्यतिथि पर अयोध्या के सीमा का परिक्रमा करते हैं. मान्यता है कि अक्षय नवमी पर किया गया पुण्य और पूजा कई गुना ज्यादा लाभ देता है. वहीं अयोध्या में एकादशी को पंचकोसी परिक्रमा शुरू होगी जो 14 नवंबर को सुबह 8:31 पर शुरू होगी और 15 नवंबर को सुबह 08:40 पर समाप्त होगी. इस वर्ष अयोध्या में 2 दिन पूर्णिमा भी मानी गई है. 18 अक्टूबर को व्रत रहने वाली पूर्णिमा होगी और 19 अक्टूबर को स्नान और दान की पूर्णिमा मनाई जाएगी.
अयोध्या में कल्पवास करने की पुरानी परंपरा चल रही है
अयोध्या में कल्पवास करने की पुरानी परंपरा चली आ रही है. संपूर्ण कार्तिक माह में श्रद्धालु अयोध्या में रह करके स्नान ध्यान और सरयू स्नान कर कल्पवास करते हैं. पूरे कार्तिक माह में यह क्रम चलता है और पूर्णिमा के दिन जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है. उस दिन सरयू स्नान कर दान कर कल्पवास को पूरा किया जाता है.
पारंपरिक मेले और परिक्रमा का अपना महत्व है
पारंपरिक मेले और परिक्रमा का अपना अलग महत्व है. मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन अयोध्या में भगवान राम की नगरी की परिक्रमा करने से प्राप्त हुआ पुण्य अक्षुण रहता है जिसका कभी नाश नहीं होता. इस वजह से अक्षय नवमी के समय अयोध्या के आसपास के जिलों से भी श्रद्धालु अयोध्या पहुंचते हैं और 14 कोस लगभग 42 किलोमीटर लंबी परिक्रमा में भाग लेते हैं. भगवान राम के संकीर्तन के साथ राम नगरी के परिक्रमा करते हैं.
अक्षय नवमी पर अयोध्या के 14 कोस की परिधि में परिक्रमा होती है
रामलला के प्रधान पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि अक्षय नवमी को किए गए पुण्य का कभी विनाश नहीं होता है.उसी दिन अयोध्या के 14 कोस की परिधि में परिक्रमा होती है. 14 कोसी परिक्रमा को मात्र एक बार करने से परमधाम की प्राप्ति होती है. परिक्रमा का आध्यात्मिक धार्मिक वैज्ञानिक महत्व होता है. अक्षय नवमी के दिन किया गया कोई भी दान पुण्य नष्ट नहीं होता है. 14 कोस परिक्रमा करने का वैज्ञानिक महत्व होता है. इस परिक्रमा को करने से शक्ति शरीर को मिलती है यह परिक्रमा अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण है.
पंचकोसी परिक्रमा का धार्मिक महत्त्व है
पंचकोसी परिक्रमा का भी अपना अलग महत्व है. धार्मिक महत्त्व है जो श्रद्धालु 5 कोस की परिक्रमा करते हैं उन्हें पंचतत्व से बने शरीर दोबारा नहीं मिलता है. वो सीधे स्वर्ग को ही जाते हैं और इंसान को मुक्ति मिल जाती है. भगवान राम के मंदिर की 5 कोस की परिक्रमा करने वाले भक्तों परम भाग्यशाली है और भगवान राम की कृपा उन पर रहती है.
इस बार पूर्णिमा भी 2 दिन मानई जाएगी
आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि इस बार पूर्णिमा भी 2 दिन मानई जाएगी. 18 नवंबर को व्रत की पूर्णिमा मानी गई है और 19 नवंबर को स्नान और दान की पूर्णिमा मानी गई है. पूर्णिमा का स्नान भी महत्वपूर्ण हैच अयोध्या आकर कार्तिक माह में कल्पवास करने वाले श्रद्धालुओं को पूर्णिमा स्नान के साथ ही उनका अनुष्ठान समाप्त होता है. कल्पवास कर जितना भी पूण्य अर्जीत किया गया है वह पूर्ण रुप से प्राप्त तभी होता है जब पूर्णिमा का स्नान और दान किया जाए.
ये भी पढ़ें