लापरवाही के चलते गोंडा में 18 फीसदी वैक्सीन हुई बर्बाद, जांच में आई चौंकाने वाली बात
गोंडा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक अर्पणा उपाध्याय ने समीक्षा के दौरान पाया कि, जिले में 18 फीसदी वैक्सीन की बर्बादी हुई.
गोंडा: कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निजात पाने के लिए भारत सरकार ने वैक्सीनेशन की प्रक्रिया में लगातार तेजी ला रही है. जिससे लोगों को इस महामारी से बचाया जा सके. साथ ही साथ तीसरी लहर पर भी काबू पाया जा सके. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लगातार नाकामी सामने आ रही है. अब कोविड-19 की वैक्सीन की बर्बादी की खबरें आ रही हैं. पूरी बात का खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक अर्पणा उपाध्याय ने वैक्सीन की बर्बादी की स्थिति की समीक्षा की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. उत्तर प्रदेश के कई जिलों में वैक्सीन की बर्बाद होने की रिपोर्ट आई है तो वहीं गोंडा भी इसमें पीछे नहीं है.
18 फीसदी वैक्सीन हुई बर्बाद
प्रदेश में गोंडा, वैक्सीन बर्बादी के नाम पर चौथे नंबर पर है. जिले में 18फीसदी वैक्सीन बर्बाद हुई है. जब शासन द्वारा सीएमओ को पत्र आया तो सीएमओ ने पूरे मामले की जांच में जुट गये. उनका कहना है कि जिले में लगभग 18 फीसदी वैक्सीन खराब हुई हैं. स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य कर्मियों को ट्रेनिंग के माध्यम से बताया गया है कि जब तक 10 व्यक्ति ने इकट्ठे हो जाएं तब तक व्यक्ति को वैक्सीन का डोज न लगाया जाए और यह भी देखा जा रहा है कि, किस स्तर पर वेक्सीन की बर्बाद हुई है. गोंडा में तीन लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन का सिंगल डोज लग चुका है. इतना ही नहीं बल्कि 18 साल से ऊपर के 60 हजार से अधिक लोग वैजसीन लगवा चुके हैं, जबकि डबल डोज वालों की संख्या भी 50 हजार है. बावजूद जिले में 18 प्रतिशत से अधिक वैक्सीन वेस्ट हुआ है.
चौथे स्थान पर है गोंडा
कोरोना को मात देने में वैक्सीन को एक बड़ा हथियार माना जा रहा है लेकिन, यहां पर वैक्सीन की बर्बादी ने चिंता बढ़ा दी है. एक-एक डोज कीमती है, हर स्तर पर निगरानी हो रही है, इसके बाद भी वैक्सीन के वेस्टेज की स्थिति चिंताजनक है. गोंडा में कोविड वैक्सीन की बर्बादी की स्थिति प्रदेश में चौथे स्थान पर है. यहां 18.37 फीसदी वैक्सीन बर्बाद होने की रिपोर्ट आने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब बचाव की मुद्रा में आ गए हैं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक अर्पणा उपाध्याय ने की समीक्षा
जिले में 16 जनवरी से कोरोनारोधी वैक्सीन लगाई जा रही है. पहले चरण में हेल्थ केयर वर्कर, दूसरे चरण में फ्रंट लाइन वर्कर को टीका लगाया गया. इसके बाद विभिन्न चरणों में अलग-अलग कैटेगरी के लोगों का टीकाकरण हुआ, जो चल रहा है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक अर्पणा उपाध्याय ने वैक्सीन की बर्बादी की स्थिति की समीक्षा की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. शून्य से एक फीसद तक वैक्सीन की वेस्टेज अनुमन्य होने के बाद भी 16 जनवरी से 31 मई तक गोंडा में 18.37 फीसद वैक्सीन की वेस्टेज हुई है. इसके अतिरिक्त अंबेडकरनगर, गौतमबुद्धनगर, सोनभद्र, ललितपुर, कन्नौज, फर्रुखाबाद में भी दस फीसद से अधिक वैक्सीन की वेस्टेज है. बलरामपुर, सुल्तानपुर सहित 13 जिलों में वैक्सीन वेस्टेज की स्थिति 5 से 10 फीसद है. बहराइच, रायबरेली, लखीमपुरखीरी, बाराबंकी समेत 32 जिलों में एक से 5 फीसद तक वैक्सीन की वेस्टेज है.
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