18th Lok Sabha News: देश में अठारहवीं लोकसभा का गठन हो चुका है. नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाई जा रही है. जल्द ही सदन में तमाम मुद्दों पर बहस होगी. कई बिल भी पेश किए जाएंगे. हालांकि एक सांसद ऐसा भी है, जिसने तकरीबन सवा लाख वोटो से जीत दर्ज की है, जिसे जनता ने अपना नुमाइंदा चुना है, लेकिन इसके बावजूद फिलहाल वह ना तो सदन की कार्रवाई में हिस्सा ले सकेगा, ना किसी मुद्दे पर वोटिंग कर सकेगा और ना ही सांसद निधि से एक भी पैसा खर्च कर सकेगा. इतना ही नहीं उसके शपथ लेने पर भी सस्पेंस है. 


 इस नवनिर्वाचित सांसद का नाम है अफजाल अंसारी. यह यूपी की गाज़ीपुर सीट से चुने गए हैं और ज्यादातर लोग इनको पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के बड़े भाई के तौर पर जानते हैं. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को अपने फैसले में अफजाल अंसारी को गैंगस्टर मामले में मिली सजा पर रोक तो लगा दी थी, लेकिन साथ ही कई शर्तें भी रखी थी. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट से अफजाल अंसारी की अपील पर फैसला नहीं आ जाता तब तक वह ना तो संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं और ना ही सदन में किसी मुद्दे पर वोटिंग कर सकते हैं.


सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट का फैसला आने तक अफजाल अंसारी के सांसद निधि के पैसे खर्च करने पर भी रोक लगा दी थी. हालांकि अदालत में अपने फैसले में कहा था कि गाज़ीपुर सीट पर उपचुनाव नहीं होगा और अफजाल अंसारी हाईकोर्ट का फैसला आने से पहले कोई भी चुनाव लड़ सकेंगे, लेकिन जीत की सूरत में उनके निर्वाचन अदालत के फैसले पर ही निर्भर करेगा. 


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 अफजाल अंसारी को गैंगस्टर मामले में गाजीपुर की स्पेशल एमपी एमएलए कोर्ट से मिली सजा का मामला अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है. अफजाल अंसारी ने सजा को रद्द किए जाने की अपील की है तो साथ ही यूपी सरकार और बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के परिवार ने सजा बढ़ाए जाने की मांग को लेकर अर्जी दाखिल की है. हाईकोर्ट में जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच तीनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है. इस मामले में अगली सुनवाई अब दो जुलाई को होनी है. मामला अब फाइनल स्टेज पर है. जल्द ही सुनवाई पूरी हो जाने और अदालत का फैसला आने की उम्मीद है.


 अफजाल अंसारी लगातार दूसरी बार सांसद तो चुन लिए गए हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक वह संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं ले सकेंगे. इसके अलावा उनके पास सदन में किसी मुद्दे पर वोटिंग करने का अधिकार भी नहीं होगा. वह सांसद निधि की रकम भी खर्च नहीं कर सकेंगे. हालांकि उनके शपथ लेने पर सस्पेंस बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में शपथ को लेकर कुछ भी नहीं कहा था.


हालांकि इलाहाबाद हाईकोर्ट में अफजाल अंसारी के केस से जुड़े बीजेपी के पूर्व विधायक कृष्णानंद राय के परिवार की तरफ से पैरवी करने वाले अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार का कहना है कि अफजाल अंसारी सांसद के तौर पर शपथ नहीं ले सकते, क्योंकि शपथ भी सदन की कार्यवाही का हिस्सा होती है और सुप्रीम कोर्ट ने अफजाल अंसारी के सदन की कार्यवाही में शामिल होने पर रोक लगा रखी है. अफजाल अंसारी की शपथ अदालत की अवमानना होगी. अधिवक्ता सुदिष्ट कुमार के मुताबिक अगर अफजाल अंसारी तथ्यों को छिपाकर शपथ लेते हैं तो वह लोग उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा दाखिल करेंगे. 


 



अफजाल के वकील और हाईकोर्ट के ऑर्डर की फाइल फोटो


 भाजपा विधायक कृष्णानंद राय के परिवार के वकील सुदीष्ट कुमार के मुताबिक अफजाल अंसारी सदन की कार्रवाई में हिस्सा नहीं ले सकते यह साफ है, लेकिन अगर उन्हें शपथ लेनी है तो सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर पिछले साल 14 दिसंबर के ऑर्डर पर स्पष्टीकरण लेना होगा. वैसे अफजाल अंसारी के मामलों में पैरवी करने वाले वकीलों की दलील है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश 17वीं लोकसभा के लिए ही था और यह नए निर्वाचन पर लागू नहीं होगा.


वैसे जुलाई या अगस्त महीने में अफजाल अंसारी के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट से आने वाला फैसला अगर उनके हक में नहीं आया तो उनकी लोकसभा की सदस्यता न सिर्फ निरस्त हो जाएगी बल्कि वह अगले 6 सालों के लिए कोई भी चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य भी हो जाएंगे. कुल मिलाकर अफजाल अंसारी का सियासी भविष्य इलाहाबाद हाईकोर्ट से जल्द आने वाले फैसले पर ही टिका हुआ है.