Gyanvapi News: इन दिनों काशी ज्ञानवापी का मामला पूरे देश में सुर्खियों में है. जहां एक तरफ ज्ञानवापी परिसर के लिए दो अलग-अलग पक्षों द्वारा अदालत परिसर में अपनी दलीलें रखी जा रही हैं और परिसर के पुरातन इतिहास का अपने धर्म से होने का दावा किया जा रहा है. वहीं दूसरी तरफ 2 फरवरी के दिन एक अलग तस्वीर तब देखने को मिली जब 31 जनवरी से खुले तहखाना में दर्शन करने के साथ-साथ उसी परिसर में नमाज भी अदा की गई.
हालांकि काशी का शहर गंगा जमुना तहजीब के लिए भी जाना जाता है. यहां हर धर्म के लोग रहते हैं और ज्ञानवापी परिसर में बन रहा यह संयोग भी उसी उदाहरण के रूप में देखा जा रहा है.ज्ञानवापी परिसर से जुड़े मामलों की अदालतीं सुनवाई और आदेश को लेकर पुलिस ने सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए थे. जहाँ एक तरफ ड्रोन से लेकर बैरिकेडिंग व्यवस्था के तहत चेकिंग कों बढ़ा दिया गया था वहीं शहर के लोगों को अफवाहों व भ्रामक बातों से बचने की सलाह दी जा रही थी.
'पूजा पाठ और नमाज के लिए उमड़ी भीड़'
वाराणसी जिला कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी परिसर के दक्षिण में स्थित तहखाना में दर्शन पूजन शुरू हो चुका है. 2 फरवरी के दिन प्राप्त जानकारी के अनुसार लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं तहखाना में रखे मूर्तियों का बाहर से दर्शन पूजन किया. इसके अलावा तहखाना आदेश के बाद पहले जुमे की नमाज के लिए हजारों की संख्या में नमाजी भी ज्ञानवापी परिसर में नमाज के लिए उमड़े थे. इस दौरान एक अनोखी तस्वीर तब देखने को मिली जब दोपहर 1:00 बजे ज्ञानवापी परिसर स्थित मस्जिद में जहां नमाजियों ने नमाज अदा की वही तहखाना में भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने दर्शन पूजन भी किया. ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है जब एक ही छत के नीचे दो अलग-अलग धर्म की परंपरा को एक साथ निभाया गया हो.
'शांतिपूर्ण संपन्न हुआ नमाज'
सामान्य दिनों की तुलना में जुमे की नमाज के दिन भारी संख्या में नमाजी ज्ञानवापी परिसर में नमाज अदा करने के लिए पहुंचे थे. वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में जुमे की नमाज के दिन तकरीबन 1:00 बजे नमाज शुरू हुआ. अंजुमन इंतजामिया कमेटी की तरफ से किए गए ऐलान के बाद नमाज में दुआखानी हुई. और शांतिपूर्ण तरीके से ज्ञानवापी परिसर में नमाज और तहखाना की पूजा पाठ परंपरा पूर्ण की गई. काशी में हिंदू धर्म के साथ-साथ जैन, बुद्ध, मुस्लिम, सिख सभी धर्म के लोग अपनी विरासत के साथ अपनी परंपरा को निभाते हैं, और बीते दिनों से दोनों धर्मो द्वारा निभाई गई यह परंपरा को भी गंगा जमुनी तहजीब के रूप में देखा जा रहा है.
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