आंवला लोकसभा सीट पर आसान नहीं बीजेपी की राह, सपा-बसपा गठबंधन ने बढ़ा दी टेंशन
आंवला लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। अभी तक यहां हुए चुनाव में बीजेपी 5 बार चुनाव जीती है। अब एक बार फिर बीजेपी के सामने 2019 में कमल खिलाने की चुनौती है।
आंवला, एबीपी गंगा। आंवला लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी के धर्मेंद्र कश्यप और सपा-बसपा गठबंधन उम्मीदवार रुचि वीरा के बीच माना जा रहा है। हालांकि कांग्रेस ने भी पूर्व सांसद कुंवर सर्वराज सिंह को चुनावी रण में उतार कर मुकाबला त्रिकोणीय बना दिया है। आंवला लोकसभा सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 9 क्षेत्रीय दलों के नेता भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि 2 उम्मीदवार निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं।
कड़ी है टक्कर
आंवला लोकसभा सीट पर अभी भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। अभी तक यहां हुए चुनाव में बीजेपी 5 बार चुनाव जीती है। अब एक बार फिर बीजेपी के सामने 2019 में कमल खिलाने की चुनौती है। बीजेपी के धर्मेंद्र कश्यप पिछले चुनाव में 40 फीसदी से अधिक वोट पाकर अव्वल रहे थे। इस बार इस सीट पर सपा-बसपा गठबंधन की वजह से मुकाबला कड़ा हो गया है।
आंवला लोकसभा सीट का इतिहास
आंवला लोकसभा सीट पर 1962 में पहली बार चुनाव हुए थे और सभी को चौंकाते हुए हिंदू महासभा ने यहां जीत दर्ज की थी। हालांकि, उसके बाद 1967, 1971 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी बड़े अंतर के साथ यहां से विजयी रही थी। 1977 के चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर का असर यहां भी दिखा और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की। 1980 में भी कांग्रेस को यहां से जीत नहीं मिल सकी और जनता पार्टी यहां से विजयी हुई। 1984 में कांग्रेस यहां बड़े अंतर से जीती थी। 1984 के बाद से ही यहां कांग्रेस वापसी को तरस रही है।
1989 और 1991 में भारतीय जनता पार्टी लगातार दो बार यहां से जीती। 1996 के चुनाव में बीजेपी को यहां झटका लगा और क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी विजय होकर सामने आई, लेकिन दो साल बाद हुए 1998 के चुनाव में एक बार फिर बीजेपी ने यहां से जीत दर्जी की। 1999 का चुनाव समाजवादी पार्टी के हक में गया, लेकिन 2004 में जनता दल (यू) के टिकट पर सर्वराज सिंह यहां से संसद पहुंचे। पिछले दो चुनाव में बीजेपी का इस सीट पर कब्जा है, 2009 का चुनाव मेनका गांधी ने यहां से बड़े अंतर से जीता। 2014 में इस सीट पर बीजेपी को मोदी लहर का फायदा मिला और धर्मेंद्र कुमार कश्यप एकतरफा लड़ाई में जीते थे।
आंवला लोकसभा सीट का समीकरण
बरेली जिले में आने वाली आंवला लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है। यहां करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है। बीते काफी समय से यहां मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण नतीजे तय करता आया है, इनके अलावा क्षत्रीय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव है। ऐसे में इस बार समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन होने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है।
विधानसभा सीटें
2014 के आंकड़ों के अनुसार, यहां करीब 17 लाख वोटर थे। इनमें करीब 9 लाख पुरुष और 7.5 लाख महिला मतदाता हैं। आंवला लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें शेखपुर, दातागंज, फरीदपुर, बिथरीचैनपुर और आंवला विधानसभा सीटें आती हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में इनमें से यहां सभी सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की थी.
2014 में कैसा रहा था जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में यहां करीब 60 फीसदी मतदान हुआ था। भारतीय जनता पार्टी को मोदी लहर का फायदा मिला और बीजेपी प्रत्याशी धर्मेंद्र कुमार कश्यप ने 41 फीसदी वोट पाकर जीत दर्ज की। समाजवादी पार्टी के कुंवर सर्वराज को सिर्फ 27.3% वोट हासिल हुए थे।