एटा में गठबंधन और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर, जाने- किन चेहरों पर लगा है दांव
एटा में पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता था लेकिन, उसके बाद यहां से हिंदू महासभा ने भी 1957 और 1962 में जीत दर्ज की थी।
एटा, एबीपी गंगा। एटा लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश की चर्चित लोकसभा सीटों में शुमार की जाती है। बीजेपी ने इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को मैदान में उतारा है। राजवीर के खिलाफ इस बार सपा-बसपा की जोड़ी है। एटा संसदीय सीट पर 14 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, जिसमें मुख्य मुकाबला बीजेपी के राजवीर सिंह उर्फ राजू भईया और समाजवादी पार्टी के देवेंद्र सिंह यादव के बीच है। एटा के पटियाली में ही मशहूर सूफी संत अमीर खुसरो का जन्म हुआ था। ऐसे में ना सिर्फ राजनीतिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी इसका महत्व बढ़ जाता है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
एटा में पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने जीता था लेकिन, उसके बाद यहां से हिंदू महासभा ने भी 1957 और 1962 में जीत दर्ज की थी। 1967 और 1971 का चुनाव जीत कांग्रेस ने यहां से वापसी की, लेकिन 1977 में चली कांग्रेस विरोधी लहर में चौधरी चरण सिंह ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 1980 के हुए चुनाव में यहां से आखिरी बार कांग्रेस जीत पाई थी। 1984 में लोक दल के जीत दर्ज करने के बाद ये सीट बीजेपी के खाते में गई। 1989, 1991, 1996 और 1998 में यहां भारतीय जनता पार्टी के महकदीप सिंह शाक्य ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी। 1999 और 2004 एटा से लगातार दो बार समाजवादी पार्टी का परचम लहराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने भारतीय जनता पार्टी से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई और यहां से चुनाव लड़ते हुए जीत दर्ज की। 2014 के लोकसभा चुनाव में कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को टिकट मिला और उन्होंने दोगुने अंतर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को मात दी।
एटा लोकसभा सीट का समीकरण
जातीय समीकरण के अनुसार एटा का क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। एटा क्षेत्र लोध, यादव और शाक्य जातीय बहुल है। 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर करीब 16 लाख मतदाता थे, जिसमें से 8.5 लाख पुरुष और 7.2 लाख महिला मतदाता हैं। एटा लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें आती हैं, इनमें कासगंज, अमॉपुर, पटियाली, एटा और मारहरा विधानसभा सीटें शामिल हैं।
2014 में क्या था जनादेश
2014 में चली मोदी लहर का फायदा एटा में भी मिला और भारतीय जनता पार्टी ने समाजवादी पार्टी को सीधे तौर पर करारी मात दी थी। बीजेपी के राजवीर सिंह को 2014 में यहां करीब 51 फीसदी वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को सिर्फ 29 फीसदी वोट मिले थे। 2014 के चुनाव में यहां कुल 58 फीसदी मतदान हुआ था, जिसमें से 6200 वोट NOTA में गए थे।