Shani Vakri 2020: 11 मई से बदल रही है शनि की चाल, जानें- आपके जीवन पर क्या पड़ेगा प्रभाव
मई 2020 में शनि देव की चाल भी बदल रही है। शनि देव 11 मई की सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर अपने पिता सूर्य के नक्षत्र उत्तराशाढा के चतुर्थ चरण तथा अपनी ही राशि 'मकर' में वक्री हो रहे हैं। ये पुनः 29 सितंबर को इसी नक्षत्र के द्वितीय चरण में गोचर करते हुए मार्गी होंगे।
शनि देव को न्याय का देवता भी माना जाता है। शनि मनुष्य के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और उसी के अनुसार फल भी देते हैं। शनि देव को लेकर लोगों के मन में भय व्याप्त रहता है। शनि देव रुष्ठ न हों इसके लिए तमाम तरह के प्रयास भी किए जाते हैं। शनि देव की कृपा मेहनती लोगों पर सदैव बनी रहती है। जब भी कोई मनुष्य परिश्रम से अपने कार्यों को पूरा करता है तो शनि देव प्रसन्न होते हैं। शनि छल रहित जीवन जीने के लिए प्रेरित भी करते हैं।
मई 2020 में शनि देव की चाल भी बदल रही है। शनि देव 11 मई की सुबह 09 बजकर 27 मिनट पर अपने पिता सूर्य के नक्षत्र उत्तराशाढा के चतुर्थ चरण तथा अपनी ही राशि 'मकर' में वक्री हो रहे हैं। ये पुनः 29 सितंबर को इसी नक्षत्र के द्वितीय चरण में गोचर करते हुए मार्गी होंगे। इस प्रकार शनि 4 माह 18 दिनों तक वक्र गति से चलेंगे।
जीवन पर पड़ेगा प्रभाव मार्गी का विलोम शब्द वक्री होता है, जिसका अर्थ है पीछे चलना अथवा मुह फेर लेना। इसे आप व्यावहारिक भाषा में शनि का मुंह फेर लेना भी कह सकते हैं। इसलिए जिन राशि के जातकों की जन्म कुंडलियों में शनि शुभ स्थान अथवा शुभ गोचर में चल रहे हैं उनके लिए तो वक्री शनि अच्छे नहीं कहे जाएंगे क्योंकि आपकी मदद करने वाले ने आपसे मुंह फेर लिया, किन्तु जिन जातकों की जन्मकुंडलियों में शनि अशुभ फलकारक हैं अथवा गोचर में अशुभ भाव में चल रहे हैं उनके लिए तो राहत है क्योंकि आपको प्रताड़ित करने वाला पीछे मुड़ गया।
जानें किन राशियों को मिलेगी राहत मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैया, तथा धनु, मकर एवं कुम्भ राशि पर साढ़े साती चलने के परिणामस्वरूप इन राशि वाले जातकों को कुछ दिनों के लिए थोड़ी राहत मिलेगी। इन्हें अपने कर्मों में और अधिक सुधार लाना चाहिए ताकि आने वाला समय अनुकूल रहे। अन्य राशि वालों को भी सन्मार्ग पर चलते हुए सत्कर्मों की वृद्धि करनी चाहिए। जिन लोगों पर इनकी महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यांतरदशा, सूक्ष्मदशा आदि चल रही है, उन्हें विषम परिस्थियों में भी सत्यभाषण का त्याग नहीं करना चाहिए तभी शनि की अनुकूलता मिलेगी।
वक्री शनि के अशुभ प्रभाव के उपाय वक्री शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए प्रतिदिन, शनि स्तोत्र का पाठ शनि के वैदिक मंत्र अथवा 'ॐ नमो भगवते शनैश्चराय' का जप करें। पीपल, नीम, आम, वटवृक्ष, पाकड़, गुलर और शमी का वृक्ष लगाएं। 16 वर्ष से कम उम्र के बच्चों-विद्यार्थियों पर शनि का कोई भी अशुभ प्रभाव नही रहेगा। अतः बच्चों को परीक्षा में और अधिक सफलता पाने के लिए पढ़ाई में कड़ी मेहनत करने के साथ साथ माता-पिता एवं गुरु की सेवा तथा परोपकार करना चाहिए।