Vikas Dubey in Biru Case: बिकरू कांड की न्यायिक जांच रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जिसमे पुलिसवालों की विकास दुबे पर मेहरबानी की कहानी भी शामिल है. दुर्दान्त विकास दुबे पर दर्ज 65 में से 21 मुकदमों की गायब फाइलें पुलिस तलाश नहीं सकी हैं. ये मुकदमे कानपुर देहात के शिवली, कानपुर नगर के कल्याणपुर, चौबेपुर और बिल्हौर में दर्ज थे. हालांकि, पुलिस अधिकारी मामले में रटा रटाया जवाब दे रहे हैं कि, दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. आपको बता दें बिकरू कांड और गैंगस्टर विकास दुबे के एनकाउंटर मामले की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया गया था. जिसने 132 पृष्ठों की रिपोर्ट दी है.
37 पुलिसकर्मी जांच में दोष पाये गये
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि, विकास दुबे और उसके गैंग को कानपुर में स्थानीय पुलिस के साथ ही राजस्व और प्रशासनिक अधिकारियों का संरक्षण हासिल था. इसी संरक्षण की वजह से 65 मामलों में नामजद विकास दुबे का नाम थाने की टॉप 10 अपराधियों की सूची में भी शामिल नहीं था. वहीं, गैंगस्टर के मददगार के रूप में 37 पुलिसकर्मी जांच में दोषी पाए गए हैं. इनमें 1996 से लेकर 2020 तक वे सभी पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने कहीं न कहीं विकास दुबे को कानून के शिकंजे से निकालने का काम किया. इन पुलिसवालों ने दुर्दांत विकास दुबे के काले कारनामों पर पर्दा डाला है.
फाइल गायब होने की जांच की जा रही है
21 मामलों की फाइल गायब होने के सवाल पर आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने कहा कि, पुलिसकर्मियों पर भी कार्रवाई की जा रही है, किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा. आपको बता दें कि, चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में दबिश देने गयी पुलिस टीम पर दुर्दांत विकास दुबे ने साथियों संग हमला कर दिया था. जिसमें सीओ सहित 8 पुलिसवालों की मौत हो गयी थी. बाद में विकास दुबे सहित छह बदमाश पुलिस मुठभेड़ में मारे गए थे.
डीआईजी समेत 11 सीओ दोषी
कानपुर में सात सदस्यीय एसआईटी जांच की अगुवाई कर रहे आईजी रेंज मोहित अग्रवाल ने बताया कि, इस घटना के बाद तत्कालीन डीआईजी अनंत देव तिवारी समेत 11 सीओ को भी दोषी पाया गया था. इनकी जांच शासन स्तर से हो रही है. यहां पर जो सूची तैयार की गई है, उसमें इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही पद के लोग शामिल हैं. कार्रवाई की जो सूची तैयार की गई है उसमें 37 पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिनमें से दो की मौत हो चुकी है, जबकि चार रिटायर हो चुके हैं.
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