गाजीपुर: जमानिया कोतवाली क्षेत्र के मलसा गांव में गुरुवार कि देर रात करीब 2 बजे संदिग्ध परिस्थिति में 217 भेड़ों के मरने से गांव में हड़कंप मच गया. गांव सहित आसपास के क्षेत्रों में भेड़ों की मौत को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म रहा. बड़ी संख्या में भेड़ों की मौत की सूचना पर तहसील, पुलिस एवं पशुपालन विभाग की टीम ने मौका मुआयना किया.
अधिकारियों को दी सूचना
मलसा गांव निवासी राघवशरण पाल और भैरोनाथ पाल ने बताया कि रोजाना की तरह बुधवार को भी शाम 4 बजे भेड़ों को चराने के बाद हाते में बंद कर दिया. जिसके बाद गृहस्थी का काम निपटाने के बाद परिवार के सभी सदस्य रात करीब 9 बजे खाना खाने के बाद सो गए. देर रात करीब दो बजे जब शौच करने के लिए आंख खुली तो हाते में कोई चहल पहल नहीं सूनाई दी. जिसके बाद हाते में जाकर देखा तो एक के ऊपर एक भेड़ें मरी हुई पड़ी थीं. जिसके बाद वे चिखने चिल्लाने लगे. चीखने की आवज सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंच गए. जिसके बाद लोगों ने घटना की सूचना पुलिस और तहसील के अधिकारियों को दी. घटना की सूचना पर तहसील प्रशासन के साथ पशुपालन विभाग के अधिकारी कर्मचारी मौके पर पहुंच गए. पशुपालन विभाग के डॉक्टर ने भेड़ों का अंग परीक्षण किया. अंग परीक्षण के बाद सभी भेड़ों को गड्ढा खोदकर उसमें दफना दिया गया.
फूड प्वाइजनिंग की वजह से हुई मौत
भेड़ो का परीक्षण करने वाले पशु डॉक्टर डॉ संतोष कुमार ने बताया कि कुल 217 भेड़ें मृत पाई गई हैं. जिसमें से राघवशरण पाल का 170 और भैरोनाथ पाल की 47 भेड़ें हैं. मृत भेड़ो में 58 नर और 159 मादा हैं. अंग परीक्षण के बाद ज्ञात हुआ कि इन भेंड़ों कि मौत फूड प्वाइजनिंग की वजह से हुई है. बाद में पूछताछ में पता चला कि एक दिन पूर्व घर में तिलक था. जिसका बचा हुआ खाना भेड़ों को खिलाया गया था. जिस कारण से फूड प्वाइजनिंग हो गई थी और भेड़ों की मौत हुई है.
अफवाहों का बाजार गर्म
भेड़ों के मरने को लेकर गांव में अफवाहों का बाजार गर्म है. एक साथ बड़ी संख्या में भेड़ों के मरने के पीछे गांव के लोग गंगा के पानी को बताते हुए कई तरह की चर्चा करते हुए नजर आए. लोगों का कहना है कि गंगा का पानी कोरोना की वजह से दूषित हो गया है और इस दूषित पानी को पीकर भेड़ों कि मौत हुई है.
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