Uttarkashi News: आने वाले दिनों में यमुनोत्री धाम की यात्रा सुगम होने के साथ-साथ सुरक्षित भी हो जाएगी. यमुनोत्री धाम से 50 किमी दूर एक डबल लेन सुरंग का निर्माण किया जा रहा है. ऑल वेदर रोड प्रोजेक्ट के तहत तैयार की जा रही इस सुरंग की लंबाई 4.5 किमी है. 3.1 किमी तक सुरंग बनकर तैयार हो चुकी है. इस सुरंग के बनने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि ऋषिकेश से यमुनोत्री की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी. फिलहाल दोनों के बीच की दूरी 256 किमी है.
सुरंग निर्माण पर आएगा 853 करोड़ का खर्च
यह सुरंग 853 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की जाएगी. सुरंग के निर्माण का जिम्मा राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआइडीसीएल) को दिया गया है. एनएचआइडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि फिलहाल ऋषिकेश से यमुनोत्री तक के सफर में आठ घंटे लगते हैं, लेकिन सुरंग बनने के बाद यह यात्रा की अवधि 45 मिनट कम हो जाएगी. यह प्रदेश की सबसे लंबी सुरग होगी. सुरंग का निर्माम मार्च 2024 तक पूरा होने की उम्मीद जताई जा रही है.
क्षेत्र की दो लाख की आबादी होगी लाभान्वित
यमुनोत्री पहुंचने के लिए वाहनों को राडी टाप नामक पहाड़ी से गुजरना पड़ता है, लेकिन शीतकाल में यह पहाड़ी बर्फ से पूरी तरह ढक जाती है, जिसकी वजह से यातायात बाधित होता है. सुरंग बनने से वाहनों को इस पहाड़ी से नहीं जाना पड़ेगा. इससे क्षेत्र की 2 लाख की आबादी को लाभ होगा.
आग लगने पर सुरंग के अंदर होगी पानी की बौछार
सुरंग के अंदर आगजनी से निपटने का पूरा इंतजाम किया गया है. आग लगने पर सुरंग के भीतर अपने आप पानी की बौछार होने लगेगी और पंखे बंद हो जाएंगे. इसकी सूचना वाहन चालकों को भी एफएम के जरिए दी जाएगी.सुरंग के अंदर स्वचालित प्रकाश नियंत्रण की भी व्यवस्था होगी.
सुरंग निर्माण में हो रहा न्यू आस्ट्रियन टनलिग मेथड का इस्तेमाल
कर्नल दीपक पाटिल ने बताया कि सुरंग निर्माण में न्यू आस्ट्रियन टनलिग मेथड का इस्तेमाल किया जाएगा, जो कि सुरंग बनाने की विश्व प्रचलित पद्धति है. इसमें चट्टान तोड़ने के लिए ड्रिलिंग ब्लास्टिंग दोनों तरीके अपनाए जाते हैं और इंजीनियरों को सुरंग के अंदर आने वाली अगली कोमल व कठोर चट्टान की स्थिति मालूम पड़ जाती है.
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