लखनऊ: केजीएमयू में छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा कराने के लिए 2015 में 300 लैपटॉप खरीदने का मामला गरमा गया है. इस मामले में केजीएमयू की आईटी सेल के सदस्य सचिव रहे डॉ. आशीष वाखलू के खिलाफ चौक कोतवाली में धोखाधड़ी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराई गई है. डॉ. वाखलू पर प्रशासनिक और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप हैं. इस मामले में पूर्व कुलपति और वर्तमान में एम्स ऋषिकेश के निदेशक डॉ. रविकांत की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं. फिलहाल पुलिस पूरे मामले की गंभीरता से जांच कर रही है.
नहीं हुआ टेंडर
ये लैपटॉप सितंबर 2015 में खरीदे गए थे. एक लैपटॉप की कीमत 53447 रुपए थी. 300 लैपटॉप के लिए एक करोड़ 60 लाख 34 हजार एक सौ रुपए का भुगतान किया गया था. 18 जनवरी 2016 को लैपटॉप की आपूर्ति हुई जिसका भुगतान सीपीएमटी 2014 निधि से किया गया था. खास बात ये कि लैपटॉप खरीदने के लिए न कोई टेंडर हुआ और न ही फाइनेंस कमेटी की स्वीकृति ली गई.
लेनी होती है फाइनेंस कमेटी की स्वीकृति
मालूम हो की 50 लाख रुपए से अधिक की कोई भी खरीदारी करने के लिए फाइनेंस कमेटी की स्वीकृति लेनी होती है. फाइनेंस कमेटी की एक बैठक होती है जिसमें प्रमुख सचिव वित्त समेत शासन के कई अधिकारी हिस्सा लेते हैं. एक निश्चित प्रक्रिया और गाइडलाइन फॉलो करने के बाद ही खरीदारी की जाती है. हालांकि, 300 लैपटॉप की खरीद के लिए सारे नियम-कानून किनारे कर दिए गए.
ऑनलाइन परीक्षा कभी हुई ही नहीं
जब ये खरीदारी हुई थी उस वक्त केजीएमयू के कुलपति डॉ. रविकांत थे और उन्होंने सब कुछ जानते समझते हुए भी लैपटॉप की खरीदारी का अनुमोदन कर दिया. लैपटॉप आने के बाद उनका प्रयोग एक बार भी छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा में नहीं किया गया. सच कहा जाए तो केजीएमयू में छात्रों की ऑनलाइन परीक्षा कभी हुई ही नहीं. सभी 300 लैपटॉप करीब 3 साल तक केजीएमयू में ही धूल खाते रहे. बाद में जब जिम्मेदारों को लैपटॉप की सुध आई तो उन्हें दूसरे विभागों को बांट दिया गया. हालांकि, तब तक सभी लैपटॉप की दशा काफी खराब हो चुकी थी. कुछ लैपटॉप टूट फूट गए थे तो कुछ की बैटरी जा चुकी थी.
चौक कोतवाली में एफआईआर दर्ज
केजीएमयू के सूत्रों का कहना है कि 100 लैपटॉप अभी भी केजीएमयू के स्टोर रूम में रखे हैं और बर्बाद हो रहे हैं. इस मामले में केजीएमयू के प्रॉक्टर आरएएस कुशवाहा ने चौक कोतवाली में एफआईआर कराई है. लैपटॉप खरीद का ये मामला बीते दिनों हुई कार्यपरिषद की बैठक में उठा था. इसके बाद इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की गई थी. समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही एफआईआर दर्ज कर केजीएमयू में डॉक्टर आशीष वाखलू समेत इस मामले में शामिल अन्य लोगों की जांच की जा रही है.
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