लखनऊ, शैलेष अरोड़ा। शिक्षण संस्थान हो या सरकारी कार्यालय, सभी को अपने यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग का इंतजाम करना होगा। जो उद्योग अपने यहां का केमिकल पाइप के सहारे जमीन के नीचे पानी में पहुंचाएंगे उनको जेल की हवा तक खानी पड़ेगी। जल संचयन और संरक्षण के लिए लाये जाने वाले उत्तर प्रदेश भूजल प्रबंधन और नियमन 2019 एक्ट को लेकर जलशक्ति मंत्री महेंद्र सिंह ने अहम बैठक की। बैठक में 18 विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।


जितना इस्तेमाल करेंगे पानी, उतना करना होगा वापस
मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया की ये कानून जल संचयन और संरक्षण को ध्यान में रखकर लाया जा रहा है। इसके बाद किसी को भी सबमर्सिबल लगवाने से पहले अनुमति लेनी होगी। जहां पहले से सबमर्सिबल लगा है उनको भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा। जो भी सबमर्सिबल लगवाएगा उसे अपने यहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग का भी इंतजाम करना होगा। सबमर्सिबल के साथ एक मीटर लगाने की भी तैयारी है जो बताएगा की पानी का कितना दोहन किया जा रहा है। यानी कुल मिलकर अब आप जितना पानी का दोहन करेंगे उतना वापस भी करना होगा।


रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था पर ही मिलेगी मान्यता
इसके अलावा सभी शिक्षण संस्थानों और सरकारी कार्यालयों जैसे पुलिस थाने, कलेक्ट्रेट या बाकी जगह भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करनी होगी। स्कूल कॉलेजों को दी जाने वाली मान्यता की शर्तों में इसको शामिल किया जायेगा। प्राइमरी से लेकर हायर एजुकेशन तक के कोर्स में जल संचयन और संरक्षण की पढाई को शामिल किया जायेगा।


5 से 7 साल की जेल, 10 लाख तक जुर्माना
कानून में यह भी व्यवस्था होगी की अगर किसी उद्योग से केमिकल पाइप के सहारे निकालकर जमीन में पानी तक जा रहा है तो 5 से 7 साल सजा और 5 से 10 लाख जुर्माना देना होगा। ये सभी व्यवस्था अगली बरसात से पहले लागू कर दी जायेगी। बैठक में AKTU, शिक्षा, स्वास्थ्य, लघु सिंचाई, वन एवं पर्यावरण समेत 18 विभागों के अधिकारी और NGO के लोग शामिल हुए।


जहां पानी की कमी वहां दोहन पर रोक
AKTU को ये जिम्मेदारी दी जायेगी की वो अपने यहां और कॉलेजों में कुछ ऐसे छोटे मॉडल तैयार कराये जिससे कोई छोटे से घर में भी रेन वाटर हार्वेस्टिंग कर सके। मंत्री महेंद्र सिंह ने बताया की प्रदेश के 823 में से 113 ब्लॉक में पानी को लेकर गंभीर स्थिति है। ऐसे ब्लॉक में पानी के दोहन पर तब तक रोक रहेगी जब तक सेफ जोन में नहीं आ जाते।