देहरादून: जहां एक ओर देश की राजधानी में किसान आंदोलन चल रहा है, वहीं, उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित विकासखण्ड घाट में भी बीते 72 दिनों से सड़क चौडीकरण की मांग को लेकर एक जन आंदोलन जारी है. 37 दिनों से घाट क्षेत्र के लोग इसलिये भूख हड़ताल पर बैठे है कि वह साल 1962 में बनाई गई 6 मीटर चौड़ी नंदप्रयाग घाट सड़क को डेढ़ लेन यानी 9 मीटर चौडीकरण करने की मांग कर रहे हैं. यह सड़क कर्णप्रयाग और थराली विधानसभा के 70 से अधिक गांवों के करीब 60 हजार की आबादी को लाभाविन्त करती है. साथ ही घाट ब्लॉक मुख्यालय को बाहरी दुनिया को जोड़ने वाली यह एकमात्र सड़क है. कई दुर्घटनाएं 19 किलोमीटर की इस सडक पर हो चुकी है, लेकिन सरकारों का ध्यान सिर्फ चुनावों के दौरान इस सडक की ओर जाता है.


पूर्व सीएम व मौजूदा सीएम की घोषणा हुई बेकार


सूबे के पूर्व सीएम हरीश रावत के द्वारा वर्ष 2015 में इस सड़क को चौड़ीकरण और डामरीकरण की घोषणा की गई थी, लेकिन सड़क चौडीकरण की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया. वहीं वर्ष 2017 में प्रदेश की सत्ता पर काबिज हुई बीजेपी सरकार के मुखिया त्रिवेंद्र रॉवत ने भी इसी सडक को गोपेश्वर पुलिस मैदान से डेढ़ लेन चौड़ीकरण करने की घोषणा की. लेकिन आज तक भी सड़क पर काम शुरू नहीं हो पाया.


नये नियम से लटका काम


सीएम की घोषणा पर एक करोड़ 28 लाख 44 हजार की धनराशि भी पहले चरण के लिए स्वीकृत की गई, जिससे लोक निर्माण विभाग के द्वारा डेढ़ लेन चौडीकरण की दिशा में आगे बढ़ते हुए, नंदप्रयाग से घाट तक सड़क किनारे 9 मीटर के दायरे में आने वाले पेड़ों की गिनती कर छपान की कार्यवाही की गई. विभागों के द्वारा संयुक्त निरीक्षण भी सड़क का किया गया, लेकिन वर्ष 2018 में उत्तराखंड सरकार के एक ऐसे नियम का हवाला देते हुए जिसमें कि, जिस सड़क पर 3000 गाड़ियों का प्रतिदिन आवागमन न होता हो, वह डेढ़ लेन नहीं बनाई जा सकती. इस नियम के बाद डेढ़ लेन चौड़ीकरण की दिशा में किया जा रहा कार्य विभाग के द्वारा अधूरा ही छोड़ दिया गया, और सड़क पर महज डामरीकरण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया. अपनी घोषणा पर ही अब सीएम बैकफुट पर आकर महज सड़क पर डामरीकरण करने की बात पर अड़े हुए हैं जिसका क्षेत्र की जनता विरोध कर रही है. और मोटरमार्ग को डेढ़ लेन करने की मांग पर अड़ी हुई है.


बेहद महत्वपूर्ण है ये सड़क


बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी हुई 19 किलोमीटर लंबी नंदप्रयाग घाट को जोड़ने वाली यह सड़क धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है. विकासखण्ड घाट के नंदाधाम कुरुड़ के नंदादेवी मंदिर से ही प्रत्येक 12 वर्षों में आयोजित होने वाली, एशिया के महाकुंभ के नाम से विश्वभर के विख्यात नंदाराजजात की अगुवाई करने वाली मां नंदादेवी की डोली भी कैलाश के लिए निकलती है. साथ ही सुपताल झलताल, बैराशकुण्ड, और लार्ड कर्जन सड़क भी इसी क्षेत्र में स्थित है जहां, कि प्रतिवर्ष देशी विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं.


भले ही घाट के लोगों का धन्यवाद करते हुए सूबे के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रॉवत ने अल्मोड़ा के एक कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सभी ब्लॉक मुख्यालयों को जोड़ने वाली सड़कों को डेढ़ लेन और डबल लेन से जोड़ने की घोषणा कर दी हो ,लेकिन सीएम की 2017 में की गई पुरानी घोषणा अभी तक भी धरातल पर नहीं उतर पाई है. नई घोषणा 2022 के चुनावों के बाद धरातल पर उतरेगी या पहले यह सवाल अभी भविष्य के गर्भ में है.


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