80 साल के मोबीन हुसैन को भारत सरकार की तरफ से मिलती है पेंशन, बेमिसाल है इनका काम
मुरादाबाद के रहने वाले मोबीन हुसैन पिछले 60 साल से पीतल हैंडी क्राफ्ट का कार्य कर रहे हैं. पीतल के उत्पादों पर नक्काशी (इन्ग्रेविंग) कला दिखाकर देश और दुनिया में मुरादाबाद का नाम रोशन कर रहे हैं. इनकी इसी कला को देखते इन्हें कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं.
मुरादाबाद: पीतल नगरी मुरादाबाद की बात हो और शिल्प गुरु मोबीन हुसैन का जिक्र न हो तो बात अधूरी सी रह जाती है. 80 साल के मोबीन हुसैन पिछले लगभग 60 सालों से पीतल के उत्पादों पर नक्काशी (इन्ग्रेविंग) कला दिखाकर देश और दुनिया में मुरादाबाद का नाम रोशन कर रहे हैं. इनकी इसी कला को देखते हुए वर्ष 2010 का इंग्रेविंग ऑन ब्रास मेटल में शिल्प गुरु अवॉर्ड एन्ड गोल्ड मेडल पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों इन्हें मिल चुका है. ये अवार्ड इन्हें वर्ष 2012 में दिया था.
60 साल से कर रहे हैं पीतल हैंडी क्राफ्ट का काम वर्ष 2001 और 2006 में मोबीन हुसैन को नेशनल मेरिट अवॉर्ड भी मिला चुका है. इसके अलावा कई स्टेट अवॉर्ड भी मिले हैं. मोबीन पिछले 60 साल से पीतल हैंडी क्राफ्ट का कार्य कर रहे हैं, इन्होंने ये काम अपने पिता स्वर्गीय श्री अल्ताफ हुसैन से सीखा था. अब तक करीब 25 से 30 लोगों को मोबीन ये कला सिखा चुके हैं. इनके कई शागिर्दों (शिष्यों) को भी अवॉर्ड मिल चुके. मोबीन हुसैन मुरादाबाद के गुइयां बाग, मुगलपुरा इलाके में रहते हैं.
भारत सरकार की तरफ से मिलती है पेंशन मोबीन हुसैन पीतल के उत्पादों पर जो कलाकृतियां उकेरते हैं वो अपने आप में बेमिसाल होती हैं. एक-एक डिजाइन को बनाने में इनको कई-कई महीने लग जाते हैं. इनके हाथ के बनाए हुए नक्काशी के उत्पाद देश भर के म्यूजियम में रखे हुए आपको मिल जाएंगे, जहां से आप कीमत देकर इन्हें खरीद भी सकते हैं. भारत सरकार की तरफ से इनको पेंशन के रूप में लगभग तीन हजार रुपये महीना मिलते हैं. मोबीन हुसैन इस उम्र में भी अपना काम बड़ी लगन से करते रहते हैं और अपने बेटे को भी ये परंपरागत कला सिखा रहे हैं.
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