Etah Fake Encounter: एटा के फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत (CBI Special Court) ने बड़ा फैसला सुनाया है. अदालत ने सेवानिवृत्त एचओ (SO) समेत 5 दोषियों को आजीवन कारावास और 4 को 5-5 साल की सजा सुनाई है. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश परवेंद्र कुमार शर्मा ने फर्जी मुठभेड़ मामले में सजा का एलान किया. सेवानिवृत्त एसओ समेत नौ पुलिसकर्मी मंगलवार को दोषी करार दिए गए थे. सीबीआई की विशेष अदालत ने पवन सिंह, पाल सिंह ठेनवा, राजेन्द्र प्रसाद, सरनाम सिंह और मोहकम सिंह को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी माना.


सीबीआई की विशेष अदालत ने किया सजा का एलान


तत्कालीन एसओ सिढपुरा पवन सिंह समेत 5 पुलिसकर्मियों को आजीवन कारावास की सजा के साथ 33 हजार का जुर्माना भी अदालत ने लगाया. वहीं, बलदेव प्रसाद, सुमेर सिंह, अजय कुमार और अवधेश रावत को सबूत मिटाने और कॉमन इंटेंशन के तहत 5-5 साल की सजा और 11 हजार का जुर्माना लगाया गया. मामला 2006 की 18 अगस्त को बढ़ई की हत्या से जुड़ा है. एटा जिले के सिढपुरा थानाक्षेत्र में बढ़ई राजाराम की डकैत बताकर पुलिसकर्मियों ने हत्या कर दी थी.


फर्जी मुठभेड़ मामले में आजीवन कारावास और जुर्माना


फर्जी मुठभेड़ के खिलाफ एक भी मुकदमा दर्ज नहीं था. मृतक बढ़ई की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई से जांच कराने की मांग की. हाईकोर्ट के आदेश पर 1 जून 2007 को सीबीआई के पास मामला गया. 22 दिसंबर 2009 को सीबीआई ने तत्कालीन एसओ सिढपुरा पवन सिंह, तत्कालीन उपनिरीक्षक श्रीपाल ठेनुआ, सात कांस्टेबल सरनाम सिंह, राजेंद्र प्रसाद, मोहकम सिंह, बलदेव प्रसाद, अवधेश रावत, अजय कुमार, सुमेर सिंह और तत्कालीन उपनिरीक्षक अजंट सिंह के खिलाफ हत्या, अपहरण, साक्ष्य मिटाने का आरोप पत्र पेश किया.


मुकदमे के दौरान अजंट सिंह की मृत्यु हो गई. इसीलिए मृतक की फाइल बंद कर दी गई. बाकी सभी को अदालत ने हत्या और साक्ष्य मिटाने का दोषी करार दिया. दोषी पुलिसकर्मियों के वकील ने सीबीआई की विशेष अदालत के फैसले को चुनौती देने की बात कही है.