गोरखपुर. कुछ कर गुजरने का जज्‍बा हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है. गोरखपुर के युवा वैज्ञानिक राहुल पर ये बात एकदम सटीक बैठती है. लगातार आविष्कार कर राहुल सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं. उन्होंने कुछ महीने पहले ही बैटरी से चलने वाली साइकिल बनाकर लोगों का ध्‍यान खींचा था. वहीं, अब बैटरी से चलने वाले ट्रैक्‍टर ने इंडिया इंटरनेशल साइंस फेस्टिवल में पहला स्‍थान हासिल किया है. तीन घंटे में एक एकड़ खेत जोतने वाला ये ट्रैक्‍टर चार्ज होने के साथ पूरी तरह से ईको-फ्रेंडली भी है.


12वीं के छात्र हैं 16 वर्षीय राहुल
महराजगंज जिले के सिसवा बाजार के बीजापार आसमान छपरा गांव के रहने वाले 16 वर्षीय राहुल सिंह गोरखपुर के एबीसी पब्लिक स्‍कूल दिव्‍यनगर में 12वीं के छात्र हैं. वे मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विश्‍वविद्यालय के डिजाइन इनोवेटर एण्‍ड इंक्‍यूशन सेंटर में इनोवेटर हैं. यहां पर रिसर्च और पढ़ाई करते हैं. वे तीन साल से लगातार इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में पहला स्‍थान हासिल कर रहे हैं. साल 2018 में रोटी मेकर, 2019 में बैटरी से चलने वाली इको-फ्रेंडली साइकिल और 2020 में कोविड-19 काल में ऑनलाइन हुए इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल में उन्‍होंने बैटरी चालित ट्रैक्‍टर बनाकर पहला स्‍थान हासिल किया है.


ईको-फ्रेंडली है राहुल का बनाया ट्रैक्टर
राहुल बताते हैं कि ये ट्रैक्‍टर पूरी तरह से ईको-फ्रैंडली है. बैटरी से चलने की वजह से इसमें आवाज नहीं होती है. साथ ही इसमें ईधन का प्रयोग भी नहीं होता, जिस वजह से वायु प्रदूषण से भी ये पूरी तरह से मुक्‍त है. उन्‍होंने बताया कि 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चलने वाले इस ट्रैक्‍टर से 3 घंटे में एक एकड़ खेत की जुताई की जा सकती है. राहुल ने इसकी बैटरी और मोटर भी खुद ही बनाया है. वे बताते हैं कि इसकी बैटरी को चार्ज करने की जरूरत नहीं है. वो ट्रैक्‍टर के चलने के साथ ही खुद चार्ज होती रहेगी.


डेढ़ लाख रुपये का खर्चा
राहुल के पिता किसान हैं. खेत की जुताई के समय ट्रैक्‍टर और उसमें लगने वाले ईधन के खर्च को देखने के बाद उनके मन में ईको-फ्रेंडली ट्रैक्टर बनाने का विचार आया था. वे बताते हैं कि इसे बनाने में 1.5 लाख रुपए का खर्च आया है. राहुल अब इस तैयारी में है कि ज्यादा ट्रैक्टर बनाकर वो इसे किसानों के लिए कम कीमत पर उपलब्ध करा सके.


ट्रैक्टर में इंडीकेटर, पावर स्टेयरिंग हेडलाइट भी हैं
राहुल ने इस ट्रैक्टर में चार इंडीकेटर भी लगाए हैं. इसके साथ ही इसमें दो हेडलाइट है. जो अंधेरे में भी खेत को जोतने में भी मदद करेगी. इसके साथ ही उन्‍होंने इसमें पावर स्‍टेयरिंग लगाया है जिससे ट्रैक्‍टर हल्‍का चले. एक स्विच की मदद से इसे आगे या पीछे भी किया जा सकता है. यही नहीं इस ट्रैक्‍टर में गेयर लगाने की जरूरत भी नहीं है. इसकी बैटरी आगे की तरफ बोनट के नीचे रखी गई है. इसके साथ ही उसे ठंडा रखने के लिए चार पंखे भी अंदर लगे हैं. इसका वजन सवा क्विंटल के करीब है. राहुल ने बताया कि उनके कोऑर्डिनेटर प्रो. ज्‍यूस सर और वीसी प्रो. जेपी पाण्‍डेय का काफी सहयोग मिला है. इस प्रोजेक्‍ट को तैयार करने के लिए उन्‍हें यूपीसीएसटी से फंड भी मिला है.


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