UP Assembly Election 2022: यूपी के अंबेडकर नगर (Ambedkar Nagar) जिले में इस बार बागियों की अग्निपरीक्षा है. इस बार यहां की हर सीट पर बागी उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा है. कोई बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) से बगावत कर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) से चुनाव लड़ रहा है तो कोई सपा से बागी होकर भारतीय जनता पार्टी (Bhartiya Janata Party) के टिकट पर चुनावी मैदान में ताल ठोक रहा है. कोई ऐसा भी है जो भाजपा से टिकट नहीं मिल पाने के बाद बसपा में शामिल हो गया और अब हाथी के निशान पर चुनाव लड़ रहा है.

 

बसपा के बागी बने सपा के सेनापति

बसपा के चार बड़े कद्दावर नेता इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से राम अचल राजभर और लालजी वर्मा को बसपा ने निष्काषित कर दिया था, जबकि त्रिभुवन दत्त और राकेश पांडेय बसपा छोड़ कर सपा में शामिल हो गए. इन सभी को सपा ने उम्मीदवार बनाया है. इन चारों के सामने अब चुनाव जीतकर खुद को साबित करने की चुनौती है और सपा की उम्मीदों पर खरा उतरना है.

 

रामअचल राजभर

रामअचल राजभर (Ram Achal Rajbhar) की गिनती बसपा के कद्दावर नेताओ में होती थी. वो अकबरपुर से पांच बार विधायक बने और तीन बार मायावती के साथ मंत्री रहे. वही बसपा के संगठन में भी प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव जैसे पदों पर भी रह चुके हैं. लेकिन पंचायत चुनाव के बाद बसपा ने इन्हें पार्टी से निकाल दिया. जिसके बाद वो सपा में शामिल हो गए. सपा ने इन्हें अकबरपुर से उम्मीदवार बनाया है. चुनाव में इनकी लड़ाई बसपा के चंद्र प्रकाश वर्मा और भाजपा के धर्मराज निषाद से है. चंद्र प्रकाश वर्मा 2017 में भाजपा से चुनाव लड़े थे तो धर्मराज निषाद बसपा से भाजपा में आये हैं. ये बसपा से तीन बार कटेहरी से विधायक रह चुके है. रामअचल राजभर इस बार त्रिकोणीय लड़ाई में फंसे हैं.



 

लालजी वर्मा

लालजी वर्मा की गिनती बसपा के बड़े नेताओं में होती थी. वो बसपा से पांच बार विधायक और तीन बार मंत्री रह चुके हैं. पहले यह टांडा से चुनाव लड़ते थे लेकिन नए परिसीमन के बाद 2012 में लालजी कटेहरी से चुनाव लड़ने लगे. राम अचल के साथ लालजी वर्मा को भी बसपा ने निष्काषित कर दिया था जिसके बाद वो सपा में आ गए. सपा ने उन्हें कटेहरी से ही टिकट दिया है. इस बार लालजी का मुकाबला भाजपा निषाद पार्टी के उम्मीदवार अवधेश द्विवेदी और बाहुबली नेता पूर्व विधायक पवन पांडेय के बेटे प्रतीक पांडेय से है. लालजी वर्मा त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे है. बसपा के कोर वोटों के सहारे चुनाव का स्वाद चखने वाले लालजी वर्मा को इस बार बसपा के कोर वोट से  कड़ी टक्कर मिल रही है तो वो सपा के कोर वोट और सजातीय वोटों के सहारे मैदान मारने के फिराक में हैं.



राकेश पांडेय

राकेश पांडेय सपा से विधायक तो बसपा से सांसद रह चुके है. वह 2002 में सपा से विधायक बने लेकिन 2007 के चुनाव में हार गए. 2009 में लोकसभा चुनाव से पहले बसपा में शामिल होकर उन्होंने चुनाव लड़ा और अंबेडकर नगर से सांसद बन गए. 2014 में वो बसपा से फिर सांसद का चुनाव लड़े लेकिन हार गए. 2017 में उन्होंने अपने बेटे रितेश पांडेय को जलालपुर विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ाया और जीत हासिल की. 2019 लोकसभा चुनाव में राकेश पांडेय ने बेटे को लोकसभा का टिकट दिलाकर सांसद बना लिया. 2022 राकेश पांडेय बसपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए. सपा ने राकेश पांडेय को जलालपुर से उम्मीदवार बना दिया. उनका मुकाबला सपा से भाजपा में गये विधायक सुभाष राय और कद्दावर नेता रहे शेरबहादुर सिंह के बेटे राजेश सिंह से है. राकेश पांडेय के सांसद पुत्र रितेश अभी बसपा में हैं लेकिन राकेश पांडेय खुद त्रिकोणीय मुकाबले में संघर्ष कर रहे हैं.



 

त्रिभुवन दत्त

त्रिभुवन दत्त की गितनी बसपा के बड़े नेताओं में होती थी. पूर्वांचल में बसपा प्रमुख मायावती के खास माने जाने वाले त्रिभुवन दत्त 2007 में विधायक बने तो एक बार सांसद बने थे. मायावती ने त्रिभुवन दत्त को कई जिलों का कॉर्डिनेटर बनाया था लेकिन 2020 में वो सपा में शामिल हो गये. सपा ने उन्हें आलापुर विधानसभा से चुनाव लड़ाया है. उनका मुकाबला बसपा के केडी और भाजपा की विधायक अनिता कमल के ससुर पूर्व विधायक त्रिवेनी राम से है. त्रिभुवन दत्त त्रिकोणीय मुकाबले में फंसे दिख रहे हैं.



 

भाजपा और बसपा ने भी दिखाया बागियों पर भरोसा

समाजवादी पार्टी ने विधानसभा की पांच सीटो में से चार पर बसपा के दलबदलुओं पर भरोसा जताया है. तो बसपा और भाजपा भी इसमें पीछे नहीं है. बसपा ने  पिछली बार भाजपा से चुनाव लड़े चंद्र प्रकाश वर्मा को अकबरपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है तो जलालपुर से भाजपा से आये राजेश सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है वहीं भाजपा ने जलालपुर से सपा के विधायक रहे सुभाष राय को टिकट दिया है. सुभाष राय 2019 विधानसभा का उपचुनाव जीते थे लेकिन सपा ने उनका टिकट काटकर राकेश पांडेय को टिकट दे दिया. जिसके बाद वह भाजपा में शामिल हो गये. 

 

ये भी पढ़ें-