नई दिल्ली, एबीपी गंगा। क्या कहता है आपका आज का राशिफल। किस राशि वालों के लिए आज का दिन कैसा रहेगा। क्या करना रहेगा शुभ और क्या चीज आपको नुकसान पहुंचा सकती है। ये सब बताया है एबीपी गंगा के खास शो समय चक्र में आपके अपने एस्ट्रो फ्रेंड पंडित शशिशेखर त्रिपाठी ने।


आज का राशिफल (Aaj Ka Rashifal)


1- मेष राशि


फोकस - पढ़ाई के साथ पार्ट टाईम जॉब करने वालों को अपनी पढ़ाई पर विशेष ध्यान देना होगा।


अलर्ट - आज आंखों में जलन होने की आशंका है।


2- वृष राशि


फोकस --मानिसक मेनहत करने वालों को शारीरिक मेहनत पर भी फोकस करना चाहिए।


अलर्ट - चाचा या पिता पक्ष के किसी सदस्य के साथ विवाद हो सकता है।


3- मिथुन राशि


फोकस - मन में किसी के प्रति छल की भावना नहीं लानी चाहिए। ईमानदारी के साथ काम करना होगा।


अलर्ट - नशेबाज दोस्तों से दूरी बनाएं रखें।


4- कर्क राशि


फोकस- यदि कोई पारिवारिक कलह हो तो उसको आज मध्यस्थता करते हुए शांत कराने को प्राथमिकता देनी होगी।


अलर्ट- क्रोध न करें अन्यथा बी.पी हाई होने की आशंका है।


5- सिंह राशि


फोकस - ऑफिस में काम को लेकर स्थितियां विपरीत है, चुनौतियां भी मिल सकती हैं।


अलर्ट - ज्यादा नींद आना स्वास्थ्य संबंधित दिक्कत हो सकती है।


6- कन्या राशि


फोकस- किसी गरीब को अपनी क्षमतानुसार राशन का दान करें।


अलर्ट- पेट में इन्फेक्शन होने की आशंका है। बाहर का भोजन न करें।


7- तुला राशि


फोकस - नये मकान के लिए यदि कर्ज लेना चाहते हैं तो बैंक से शुभ सूचना मिल सकती है।


अलर्ट - अपरिचित की बात में आकर महत्वपूर्ण निर्णय न लें।


8- वृश्चिक राशि


फोकस - सरकार के माध्यम से होने वाले कार्यों में सफलता मिलने की संभावना है।


अलर्ट - पुरानी दवाईयों के सेवन से पहले एक्सपायरी जांच अवश्य कर लें।


9- धनु राशि


फोकस - आज ऑफिस के कार्यों से ज्यादा परिवार के कार्यों को महत्व दें।


अलर्ट - पड़ोसियों से संबंध मधुर रखें विवाद हो सकता है।


10- मकर राशि


फोकस - ऑफिस के बड़े अधिकारियों के साथ ताल मेल बनाकर चलें।


अलर्ट - सीढ़ियों से उतरते समय ध्यान रखें फिसल कर चोट लग सकती है।


11- कुंभ राशि


फोकस - आज के दिन गरीब बच्चों को अपनी क्षमतानुसार दान करना चाहिए।


अलर्ट - किसी का वाद पूरा होगा आज इस बात पर संदेह है।


12- मीन राशि


फोकस- आज टेंशन न लेते हुए, प्रसन्न रहते हुए कार्य को महत्व देना चाहिए।


अलर्ट - यात्रा किंही कारणों से दुखदायी हो सकती है।


-दर्शकों कल हम लोगों ने पितर पक्ष के विषय में विस्तार से जाना था। दरअसल यह समय पितरों की चर्चा के लिए सबसे उपयुक्त है। जब हम लोग यह बात कर रहे हैं आप हमको सुन रहें तो मन पीछे अपने पूर्वजों का चित्र व ध्यान स्वतः ही आ रहा होगा। उनके प्रति श्रद्धा भी उत्पन्न हो ही रही है।


-मैं आपका एस्ट्रो फ्रैंड हूं.. मेरा उद्देश्य आपको डराना अनावश्यक संदेह उत्पन्न करना नहीं है। मैं आपका एस्ट्रो फ्रैंड हूं आपके कंधे कंधा मिलाकर आपके भीतर की सभी संदेहों का शमन करने का प्रयास करता हूं।


-दर्शकों कम से कम पितृपक्ष में अपनी नई पीढ़ी को अपने ज्ञात पूर्वजों के बारे में बताना चाहिए। साथ ही उनसे जुड़ी हुई घटनाओं का भी सजीव चित्रण करने का प्रयास करना चाहिए। आज की नई पीढ़ी की हालत ऐसी होती जा रही है कि पर बाबा का नाम तक नहीं मालूम होता है। यदि अधिक अधिक पूर्वजों नाम बता सकें या पता कर सके तो यह भी एक का पितरों को प्रणाम है। इसको अपने ऊपर लेकर सोचिए की हम लोग रात दिन बच्चों के भविष्य के लिए मेहनत कर रहे है लेकिन यदि आपका पौत्र आपका अभिवादन तक नहीं करता हो तो आत्मा को बहुत कष्ट होता है।


-एक कहावत है कि मूल धन से ब्याज प्यारा होता है यानी बेटे से ज्यादा पौत्र पौत्री प्यारे और दुलारे होते हैं। जैसे बड़े बुजुर्गों का हम लोगों पर स्नेह और दृष्टि होती है उसी प्रकार पूर्वजों का कीर्ति शरीर भी हम लोगों पर दृष्टि रखता है। इसलिए उनके जीवन मे किये गए संघर्षों का, उपलब्धियों का वर्तमान पीढ़ी को अवगत कराना उनका सच्चा सम्मान हैं। दर्शकों यहीं मानसिक श्राद्ध भी है। इसी से वह तृप्त भी होंगे। बेमन और दिखावे में किया गया श्राद्ध का कोई फल नहीं मिलता है।


-भीष्म पितामह का श्राद्ध पांडवों ने किया। वराहपुराण, सुमन्तु, यम-स्मृति, ब्रह्मपुराण आदि अनेकानेक धर्मशास्त्रों में श्राद्ध की विस्तार से महत्ता बताई गई है। वाराहपुराण में कहा गया है कि श्राद्ध तर्पण से जगत के पूज्यों की भी पूजा हो जाती है। सुमन्तु ने श्राद्ध कर्म को सर्वश्रेष्ठ कर्म कहा गया है। यम-स्मृति में कहा गया है- जो श्राद्ध करता है अथवा उसकी सलाह देता है, उन सभी को श्राद्ध का फल मिलता है।


-दर्शकों अब प्रश्न यह है कि किस दिन श्राद्ध कर्म करना चाहिए। अपने पूर्वज जो कि दो तीन पीढ़ी ऊपर को होते हैं जिनको हम लोग जानते हैं और जो हमसे सीधे जुड़े रहें हैं उनका श्राद्ध देह त्याग की तिथि को ही करना चाहिए। जैसे किसी के दादा जी चतुर्थी को संसार त्याग कर गए तो उनकी पितर पक्ष की श्राद्ध चतुर्थी को होगी। अब बात आती हैं जिनके बारे में नहीं पता है और उन पूर्वजों का श्राद्ध कब किया जाए तो उसके लिए अमावस्या को करना शास्त्रों ने बताया है।


-श्राद्ध में ध्यान देने वाली बात यह है कि जिस व्यक्ति विशेष के लिए जो वस्तुएं आप खरीद रहे हों या दान रुप में दे रहे हों, वह उनके शीघ्र ही काम आने वाली हों। ऐसा न हों कि आप रुपये खर्च करें और वे वस्तुएं लम्बे समय तक बिना काम के पड़ी रहें। इसलिए वैसे ही चीजें खरीदे और लोगों को दान में दें। जैसे जिसका श्राद्ध करें उसको पसंद हो। दर्शकों एक चीज और समझ लीजिए कि पसंद सकारात्मक होनी चाहिए न कि आसक्ति। पता लगे कि दादा की शराब पसंद थी तो उनको प्रसन्न करने के लिए शराब पीने और पिलाने लगे ऐसी भूल कतई नहीं करनी चाहिए।


-जैसे उदाहरण से समझते हैं कि मानियें कि दादा ही अब इस दुनियां में नहीं है और उन्होंने गरीब बच्चों को खूब पढ़ाया। यह भी जानकारी है कि यदि उनके पास कोई गरीब बच्चा आया तो उसको उन्होंने पढ़ने की व्यवस्था कराई ठीक उसी प्रकार हमको भी करानी होगी।


-श्राद्ध से केवल पितर ही प्रसन्न होते हैं ऐसी बात नहीं है। श्राद्ध से आपके कर्म भी दृढ़ होते हैं। यानी पितर तरते हैं जिससे स्वयं का कल्याण भी होता है।


-दर्शकों एक बात और है कि श्राद्ध कर्म केवल तीन पीढ़ी तक ही किया जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि मृत आत्मा को पुनः शरीर प्राप्त करने या मोक्ष होने का वेटिंग टाइम तीन पीढ़ी से ज्यादा नहीं होता है।


-शास्त्रों में कहा गया है कि पितृ पक्ष की समाप्ति पर पितृगण पितृलोक की ओर प्रस्थान करते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार अश्विन मास कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि से अमावस्या तक 15 दिनों के लिए पितृगण अपने वंशजों को यहां धरती पर अवतरित होते हैं और अश्विन अमावस्या की शाम समस्त पितृगणों की वापसी उनके गंतव्य की ओर होने लगती है।


-माना जाता है कि पितृगण सूर्य चंद्रमा की रश्मियों के कारण वापस चले जाते हैं। ऐसे में वंशजों द्वारा प्रज्जवलित दीपों से पितरों की वापसी की मार्ग दिखाई देता है और वह आशीर्वाद के रूप में सुख- शांति प्रदान करते हैं। अतः पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन शाम के समय पितरों को भोग लगाकर घर की दहलीज पर दीपक जलाकर प्रार्थना करनी चाहिए कि, हे पितृदेव जाने- अनजाने में जो भी भूल-चूक हुई हो, उसे क्षमा करें और हमें आशीर्वाद दें।


-विष्णु पुराण में पितृपक्ष में दान देने का महत्व बताया गया है। अगर राशियों के अनुसार पूर्वजों की स्मृति में दान किया जाए तो यह लाभप्रद माना जाता है।


-मेष- भूमिदान अथवा संकल्प और दक्षिणा सहित मिट्टि के ढेलों का दान विशेष फलदायक अथवा लाल वस्तुओं का दान, तांबा दान।


-वृष- सफेद गाय का दान अथवा कन्या को खीर खिलाएं।


-मिथुन- आवंला, अंगूर, मूंगा का दान , मूंग की दाल का दान।


-कर्क- नारियल, जौ, धान।


-सिंह- स्वर्ण, खजूर, अन्न आदि का दान।


-कन्या- गुड़, आवंला, अंगूर, मूंगा, मूंग की दाल आदि का दान।


-तुला- खीर दान, दूध से बनी वस्तुओं का दान।


-वृश्चिक- भूमि दान अथवा संकल्प और दक्षिणा सहित मिट्टी के ढेले का दान।


-धनु- राम नाम लिखा वस्त्र, अंगोछा आदि।


-मकर- तिल के तेल और तिल का दान।


-कुंभ- तिल का दान, तेल से बने पदार्थ का दान।


-मीन- धार्मिक पुस्तक जैसे गीता आदि का दान।


-यदि आप अपने पितरों के प्रति श्रद्धा नहीं रखते हैं। उनको प्रसन्न नहीं करते हैं। घर के बड़े बुजुर्गों का सम्मान नहीं करते हैं। और ऐसी भूल पीढ़ी दर पीढ़ी चलती चली आ रही है तो आपकी कुंडली में भी इन कर्मों का असर दिखता है और धीरे धीरे एक भयंकर दोष का निर्माण हो जाता है जिसको कि पितृ दोष कहते हैं। इस विषय में हम लोग कल विस्तार से चर्चा करेंगे।


13.09.2019


संवत् – 2076


माह– भाद्रपद शुक्ल पक्ष


तिथि – पूर्णिमा


वार- शुक्रवार


योग- धृति योग रात्रि 08:30 तक इसके उपरान्त शूल योग


चन्द्रमा - कुंभ राशि


नक्षत्र – शतभिषा नक्षत्र सायं 07:59 तक इसके उपरान्त पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र


भद्रा- आज प्रातः 07:34 से रात्रि 08:49 तक पृथ्वी पर है।


पंचक आज है।


राहु काल- प्रातः 10:30 से दोपहर 12:00 बजे तक


दिशा शूल- पश्चिम दिशा (घर से निकलते समय जूस पी कर यात्रा प्रारम्भ करें।)