देहरादून. उत्तराखंड में कोरोना महामारी से प्रदेश का हाल बेहाल है. लोग ऑक्सीजन और आईसीयू बेड के लिए दर-दर भटक रहे हैं. स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं, लेकिन प्रदेश में वीआईपी कल्चर एक बार फिर हावी होता हुआ नजर आ रहा है. उत्तराखंड के बड़े अस्पतालों में वीआईपी और राजनेताओं के परिवार या उनके परिचित लोग आसानी से अस्पतालों में भर्ती हो जा रहे हैं, लेकिन आमजन और गरीब आदमी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दर-दर ठोकरें खा रहा है.


मसूरी में वीआईपी कल्चर की बानगी देखने को मिली है. हाल ही में पहाड़ों की रानी में तीन वेंटिलेटर और दो आईसीयू बेड बनाए गए जिनका विधिवत शुभारंभ किया गया, लेकिन इन आईसीयू और वेंटीलेटर बेड को वीआईपी के परिचितों ने घेर लिया. वीआईपी कल्चर से मसूरी की जनता में भारी रोष है. वहीं, उत्तराखंड में सियासी जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी (आप) भी इसके विरोध में उतर आई है. 


आप ने कहा कि मसूरी में स्वास्थ सुविधाओं का अभाव है. आप सरकार से मसूरी में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किए जाने की मांग कर रही थी. जिसको लेकर मसूरी में कोविड केयर सेंटर, तीन वेंटिलेटर और दो आईसीयू बेड भी बनाए गए, परंतु यह भी वीआईपी कल्चर की भेंट चढ़ गया है. 


आप प्रवक्ता ने बोला हमला
उत्तराखंड में आप के प्रवक्ता नवीन पिरसाली ने कहा कि प्रदेश सरकार कोरोना संक्रमण से लड़ने को लेकर बड़ी-बड़ी बातें कर रही हैं. परंतु अगर धरातल पर देखा जाए तो प्रदेश सरकार पूरी तरीके से फेल हो चुकी है. यहां तक कि प्रदेश सरकार एक फुल टाइम स्वास्थ्य मंत्री भी प्रदेश को नहीं दे पा रही है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत देख रहे हैं. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और उनकी 11 टीम कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए पूरी तरीके से फेल हो चुकी है.


उन्होंने सरकार से मांग की है कि प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में संक्रमित भर्ती मरीजों का डाटा निकाला जाए और जो बेवजह अस्पतालों में भर्ती हैं उन पर कार्रवाई की जाए. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग के कई अधिकारी भी इसमें शामिल हैं उनको भी चिन्हित कर उन पर कार्रवाई की जाये.


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