कम नहीं हो रही है आजम खां के परिवार की मुश्किलें, बेटे अब्दुल्लाह आजम के चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक
अब्दुल्लाह आजम खां को भ्रष्ट आचरण का दोषी पाये जाने पर विधानसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है. इस पत्र के जरिये उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाये जाने की मांग की गई है.
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लखनऊ. समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले छह महीने से ज्यादा समय से वो और उनका पूरा परिवार जेल में बंद है, तो वहीं, एक बार फिर आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. इसके पीछे वजह है यूपी विधानसभा सचिवालय की तरफ से राष्ट्रपति को भेजा गया वो पत्र जिसमें अब्दुल्ला आजम के भ्रष्ट आचरण के चलते छह साल तक अब्दुल्ला के चुनाव ना लड़ने की संस्तुति की गई है.
अब्दुल्ला आजम के चुनाव लड़ने पर लग सकती है रोक
पिछली सरकार में आजम खान की उत्तर प्रदेश में तूती बोलती थी. आजम खान मुख्यमंत्री तो नहीं थे लेकिन मुख्यमंत्री से कम भी नहीं थे. लेकिन समय बदला समाजवादी पार्टी सत्ता से बाहर हुई, बीजेपी सत्ता में आई और उसके बाद से ही आजम खान के लिए मुश्किलें शुरू हो गईं. अब रामपुर से समाजवादी पार्टी के सांसद आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. सीतापुर जेल में बंद अब्दुल्ला आजम के अगले छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लग सकती है. इस संबंध में यूपी विधानसभा सचिवालय की तरफ से राष्ट्रपति को पत्र लिखा गया है.
इस कानून के तहत कार्रवाई की सिफारिश
राष्ट्रपति को लिखे पत्र में अब्दुल्ला आजम को भ्रष्ट आचरण का दोषी करार दिए जाने पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 की धारा 8-क के तहत चुनाव लड़ने से रोके जाने की संस्तुति की गई है. अब भारत निर्वाचन आयोग से सहमति लेकर अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने पर रोक का आदेश जारी हो सकता है. हालांकि इसे लेकर अब समाजवादी पार्टी एक बार फिर सरकार पर आज़म खान और उनके परिवार को प्रताड़ित करने का आरोप लगा रही है.
गलत जन्मतिथि के चलते चली गई थी विधायकी
उत्तर प्रदेश की रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से विधायक अब्दुल्ला आजम खान को अपनी जन्मतिथि गलत दर्शाने के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनको भ्रष्ट आचरण का दोषी माना था और इसी के चलते अब्दुल्ला की विधानसभा सदस्यता भी समाप्त हो गई थी. अब्दुला आजम 2017 में स्वार सीट से विधायक चुने गए थे, उस समय उनकी उम्र 25 साल नहीं थी. उनपर फर्जी जन्मतिथि के आधार पर चुनाव लड़ने और जीतने का आरोप था. आरोप सही पाए जाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिसंबर 2018 में उनके निर्वाचन को अवैध ठहराया था. विधानसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता खारिज करने की अधिसूचना जारी कर दी थी. सपा के आरोपों पर बीजेपी का कहना है कि सब कुछ कोर्ट के आदेश पर किया गया है और आजम खान के लिए अलग कानून अखिलेश राज में होता था, योगीराज में सबके लिए कानून बराबर है.
उपचुनाव लड़ने पर छाया संकट
दरअसल उत्तर प्रदेश की आठ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है और उसमें रामपुर की स्वार सीट भी है. जहां से अब्दुल्ला आजम पहले विधायक रह चुके हैं. ऐसे में अगर अब्दुल्ला के चुनाव लड़ने पर रोक लगी तो रामपुर की स्वार सीट पर उनके फिर से उपचुनाव लड़ने का रास्ता बंद हो जाएगा. सियासी हलकों में ऐसी अटकलें थी कि समाजवादी पार्टी अब्दुल्ला को फिर से स्वार से चुनाव लड़ा सकती है. जमानत नहीं मिलने पर वह जेल से भी चुनाव लड़ सकते थे. लेकिन अब राष्ट्रपति को भेजी गई इस चिट्ठी से आजम परिवार की तैयारियों को झटका जरूर लगा होगा.
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