UP News: अब्दुल्लाह आजम के स्वार सीट से निर्वाचन रद्द करने के मामले में SC ने फैसला रखा सुरक्षित, 4 दिन में मांगी लिखित दलील
UP की स्वार सीट से अब्दुल्लाह आज़म के निर्वाचन रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में वकील कपिल सिब्बल ने अब्दुल्लाह आजम का पक्ष रखा है. उन्होंने कहा हमारे अनुसार जन्म प्रमाण पर जन्मतिथि गलत है.
Abdullah Azam Case: समाजवादी पार्टी के नेता अब्दुल्लाह आज़म के स्वार सीट से निर्वाचन रद्द करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने के मामले में आज़म के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट द्वारा मामले में जांच में पूछे गए सवालों पर सवाल उठाया है. वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह देखना चहिये की जांच के दौरान किस तरह के सवाल पूछे गए, क्या इस तरह के सवाल जांच के दौरान पूछे जाते है, जांचे के दौरान क्रॉस एग्जामिनेशन भी नहीं किया गया. कपिल सिब्बल ने कहा कि AIIMS में भी जन्म प्रमाण पत्र को डायरेक्ट या डिपार्टमेंट के हेड वेरीफाई नहीं करते, जन्म सर्टिफिकेट पर इंट्री सीनियर डॉक्टर या डिपार्टमेंट का हेड नहीं करता है, रेज़ीडेंट डॉक्टर या कोई अन्य करता है. वहीं इस मामले पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है और पक्षकारों को 4 दिन में अपनी लिखित दलील देने को कहा है.
सिब्बल ने माना जन्मतिथि है गलत
सिब्बल ने कहा कि हमारे अनुसार जन्म प्रमाण पर जन्म की तारीख गलत है, हमें उसे सही करना था, हमने उसको सही करवाया. उन्होंने कहा कि अगर यह आरोप लगाया जा रहा है कि अब्दुल्लाह आज़म का जन्म रामपुर में हुआ तो उनको कोई सबूत पेश करना होगा, अस्पताल से किसी डॉक्टर को पेश करें. सिब्बल ने आगे कहा कि हम तो कह रहे है कि रामपुर में जन्म नहीं हुआ, लखनऊ में जन्म हुआ, दस्तावेज़ से लेकर डॉक्टर तक को पेश कर रहे हैं. सिब्बल ने कहा हमारे किसी करीबी ने पहला वाला जन्म प्रमाण रामपुर में हासिल किया था, उस पर जन्मतिथि गलत लिखी हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा ये सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या किसी के परिवार का करीबी जन्म प्रमाण हासिल कर सकता है? अदालत ने यह भी कहा कि एक व्यक्ति, एक परिवार जो बहुत पढ़ा लिखा है हम किसी गांव के व्यक्ति की बात नहीं कर रहे हैं, जिसको कानूनी महत्व के बारे में नहीं पता है, क्या उससे ऐसी चूक हो सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपने उस जन्म प्रमाण को पासपोर्ट हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया. सिब्बल ने बताया कि पहला वाला पासपोर्ट 2006 में जारी करवाया गया था, हमने उस पर जन्मतिथि बाद में सही कराई. सिब्बल ने आगे कहा हम कह रहे है कि उस पर जन्मतिथि नहीं थी, हम मानते है कि गलती से जन्मतिथि लिख गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इंफ्लुएंस कई तरह का होता है, आम आदमी को यह सर्टिफिकेट पाने में 10 दिन लग जाता है. कुछ लोग उससे कम समय में हासिल कर लेते हैं.
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