ABP News- C Voter Survey: क्या कुंभ शुरू से सांकेतिक ही रहना चाहिए था? जानें- देश का मूड
CVoter Mood of Nation Survey: सर्वे के आंकड़ों से यह साफ है कि शहरों से गांवों तक एकसुर में लोग सांकेतिक कुंभ चाहते थे. इसके मायने यह हैं कि ग्रामीणों ने भी कुंभ का विरोध किया.
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ABP News- C Voter Survey: कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने पूरे देश में कोहराम मचाकर रख दिया. हालात इतने बदतर हो गए कि श्मशान घाटों पर लोगों को अंतिम संस्कार के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. लेकिन इस दौरान सबसे हैरानी की बात यह रही कि उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में कुंभ के आयोजन को सांकेतिक नहीं रखा. कुंभ मेले की वजह से हरिद्वार में लाखों लोगों की भीड़ जुटी.
आलम यह था कि शाही स्नान के दौरान कोरोना नियमों की जमकर धज्जियां उड़ी. लेकिन धीरे-धीरे कोरोना ने साधु संतों समेत अन्य लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया. कई लोगों को कोरोना से जान गंवानी पड़ी. आखिरकार अंतिम शाही स्नान से पहले सख्ती बढ़ा दी गई. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. कोरोना काल में क्या कुंभ मेले का इतना भव्य आयोजन होना चाहिए था? देश की जनता इस बारे में क्या सोचती है यह जानने के लिए एबीपी न्यूज़ ने सी-वोटर के साथ मिलकर सर्वे किया है.
कुंभ शुरू से सांकेतिक ही रहता?
शहरी ग्रामीण
हां- 58% 54%
नहीं- 22% 19%
कह नहीं सकते- 20% 27%
सर्वे के आंकड़ों से यह साफ है कि शहरों से गांवों तक एकसुर में लोग सांकेतिक कुंभ चाहते थे. इसके मायने यह हैं कि ग्रामीणों ने भी कुंभ का विरोध किया. अगर सही समय पर सरकार ने भी कड़े कदम उठा लिए होते तो कई लोगों को संक्रमित होने से बचाया जा सकता था.
(नोट- मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल को दो साल पूरे हो रहे हैं. इस मौके पर एबीपी न्यूज के लिए सी वोटर ने देश की जनता का मूड जाना है. देश में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा कोरोना है. मोदी राज में कोरोना को लेकर देश क्या सोच रहा है इसमें इसी पर बात हुई. ये स्नैप पोल 23 से 27 मई के बीच किया गया है. सर्वे में 12 हजार 70 लोगों से बात की गई है. सर्वे में मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस 3 से प्लस माइनस 5 फीसदी तक है.)
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