गाजियाबाद: गाजियाबाद दिल्ली एनसीआर का काफी पुराना शहर है. ये शहर उद्योग नगरी के तौर पर भी जाना जाता है. गाजियाबाद में कम से कम 20 हजार छोटी बड़ी फैक्टरियां हैं. ये जिला जिताना बड़ा है, उतने ही बड़े यहां पर अग्निकांड हो चुके हैं. लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ है. अब भी लगातार ऐसे खतरे बने हुए हैं. हाल ही में हुए गाजियाबाद के साहिबाबाद साइट 4 में अग्निकांड ने एक बार से गाजियाबाद को दहला दिया है. इस अग्निकांड में फैक्ट्री मालिक के साथ साथ एक कर्मचारी की भी मौत हो गई थी, तो वहीं 11 कर्मचारी अभी भी अपनी जिंदगी और मौत के बीच अस्पताल में जूझ रहे हैं. इस अग्निकांड में घायल हुए एक कर्मचारी की बहन से हमने बात की, तो उन्होंने बताया कि उनका भाई अभी नाजुक स्थिति में अस्पताल में भर्ती है, लेकिन उन्हें किसी भी तरह की कोई सरकारी मदद या किसी सहानभूति के लिए कोई फोन तक नहीं आया है.
सबसे बड़े अग्निकांड
आखिरकार ये हादसा होते क्यों हैं, क्या इनसे बचा जा सकता है. ये सारे बड़े सवाल आपके जहन में खड़े होते होंगे. आज हम आपको होने वाले इन अग्निकांड की मुख्य वजह बताएंगे, लेकिन इससे पहले गाजियाबाद में होने वाले पिछले 7 सालों के अग्निकांड के रिकॉर्ड पर नजर डाल लेते हैं.
गाजियाबाद में 2014 में 873 अग्निकांड
2015 में 784 अग्निकांड
2016 में 907 अग्निकांड
2017 में 1071 अग्निकांड
2018 में 1264 अग्निकांड
2019 में 1000 अग्निकांड
2020 में 910 अग्निकांड हुए तो वहीं अभी साल की शुरुआत होते-होते मार्च तक गाजियाबाद में 40 अग्निकांड सामने आए हैं.
अब जो आंकड़े हम आपको बताने जा रहे हैं, उसको देखकर आप चौक जायेंगे. गाजियाबाद में 11 नवंबर 2016 को एक जैकेट फैक्ट्री में आग लगती है. जिसमें 13 मजदूरों की जिंदा जलकर मौत हो जाती है.
14 मई 2016 राज नगर इंडिया मार्ट के कार्यालय में आग लगती है, जिसमें 5 कर्मचारियों की जिंदा जलकर मौत हो जाती है. 28 अप्रैल 2017 फारूख नगर गांव में एक पटाखा फैक्ट्री में आग लगती है, जिसमें 5 लोग जिंदा जल जाते हैं. जिसके बाद मौके पर गाजियाबाद का आला प्रशासन पहुंचता है, और देखते ही देखते कुछ महीनों बाद फारुखनगर में पटाखे बनाने और बेचने पर प्रतिबंध लग जाता है. हालांकि इसकी एक वजह में से दिल्ली-एनसीआर में बढ़ता प्रदूषण भी माना गया है.
हादसों की वजह
आखिरकार यह अग्निकांड होते क्यों हैं? क्या इन पर किसी तरह से काबू पाया जा सकता है, जिससे न हादसों में जाने वाली जान को बचाया जा सके. जब भी ऐसे अग्निकांड होते हैं तो उनमें सबसे ज्यादा कमियां आग बुझाने की व्यवस्था में खामियों के रूप में आती हैं. अग्निकांड की सबसे बड़ी वजह मनचाहे तरीके से भवनों का निर्माण भी होता है. अग्निकांड की खास तौर पर एक वजह यह भी है, कि मकानों में घटिया विद्युत तार और उपकरणों का प्रयोग किया जाता है तो भी ऐसी आशंकाएं बनी रहती हैं. साथ ही शॉर्ट सर्किट होने पर लापरवाही बरतना भी अग्निकांड का एक मुख्य कारण है.
हादसों के लिये कानून भी जिम्मेदार
अग्निकांड के लिये एक ऐसी वजह भी है जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जाएंगे. वह है कानून. इसकी वजह से भी अग्निकांड गाजियाबाद में ज्यादा हो रहे हैं. जिसमें लोग जिंदा जल कर दम तोड़ देते हैं. दरअसल अग्निशमन 2005 एक्ट के अनुसार किसी भी औद्योगिक कार्यालय या फैक्ट्री को एनओसी के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है. जिसके चलते ज्यादातर लोग अग्निशमन के नियमों में लापरवाही बताते हैं. गाजियाबाद के सीएफओ सुनील शर्मा का कहना है कि, वह लगातार जागरूकता अभियान चलाते रहते हैं और समय-समय पर औद्योगिक क्षेत्रों में निरीक्षण करते रहते हैं. लेकिन हम किसी को भी एनओसी के लिए बाध्य और अनिवार्य नहीं कर सकते हैं, क्योंकि ऐसा कोई कानून नहीं है. जिसके चलते गाजियाबाद के औद्योगिक फैक्ट्रियों में लगभग 90% फैक्ट्रियों में फायर एनओसी नहीं है.
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