ग्रेटर नोएडा: जहां एक तरफ कृषि कानून के विरोध में किसान देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली से ही सटे ग्रेटर नोएडा के किसान प्रदेश व देश के विकास के लिए अपनी जमीन अपना घर अपना गांव  सब कुछ कुर्बान कर रहे हैं. ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्यों कि जब एक पंछी भी अपना घोंसला छोड़ता है तो उसे भी दर्द होता है. लेकिन ग्रेटर नोएडा के सात गांव के किसान नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए न सिर्फ अपनी जमीन दे रहे हैं, बल्कि हवाई पट्टी के लिए अपना पुस्तैनी घर व गांव भी छोड़ रहे हैं और इन किसानों का कहना है हम खुश हैं कि हम प्रदेश व देश के काम आ रहे हैं. 


किसानों ने स्वेच्छा से दी अपनी जमीन


एबीपी गंगा की टीम हकीकत जानने के लिए सबसे पहले यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के सीईओ डॉक्टर अरुणवीर सिंह के पास पहुंची और उनसे जानने की कोशिश की कि, किसानों के विस्थापन में क्या किसानों की सहमति है या फिर प्रशासन उन्हें जबरन विस्थापित कर रहा है. उन्होंने कहा कि, ग्रेटर नोएडा के सात गांव के किसानों ने जो मिसाल पेश की है, उसकी जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है और उनके इस फैसले को सलाम करते हुए कहा कि, किसानों ने स्वेच्छा से क्षेत्र व प्रदेश के विकास के लिए ना सिर्फ अपनी जमीन दी बल्कि अपने घर और पुश्तैनी गांव को भी छोड़ दिया. 


जून के अंत तक सभी ग्रामीणों को विस्थापित कर दिया जाएगा


वहीं, एबीपी गंगा से खास बातचीत के दौरान डॉ अरुणवीर सिंह ने कहा कि, सरकार और प्रशासनिक अधिकारी किसानों की हर एक समस्या को बड़ी गंभीरता से ले रहे हैं, यही वजह है कि, मंडलायुक्त से लेकर जिलाधिकारी और वह खुद ग्रामीणों से मिलकर उनकी हर समस्या का निदान कर रहे हैं. उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत ना हो इसका विशेष ध्यान रखा जा रहा है, साथ ही नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण में कोई भी अवरोध न रहे इसपर युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है और सभी ग्रामीणों को जून के अंत विस्थापित कर दिया जाएगा.


जेवर विधायक ने कही जय जवान जय किसान की बात


लेकिन, इस विस्थापन से ग्रामीणों को कोई एतराज है या नहीं यह जानने के लिए हमने वहां के क्षेत्रीय विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह से संपर्क किया और बात कर किसानों के बारे में पूछा तो उनका कहना था कि हर किसी को अपना घर छोड़ने में दुःख होता है. लेकिन उनके इलाके के किसानों ने यह कदम उठा कर यह साबित कर दिया कि ऐसे ही नहीं इस देश में "जय जवान जय किसान" का नारा लगाया जाता है. किसानों के इस फैसले से न सिर्फ क्षेत्र का विकास होगा बल्कि देश प्रगति के पथ पर होगा और जब जब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की बात होगी इन किसानों को हमेशा याद किया जाएगा. साथ ही जेवर विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने बताया कि अगस्त माह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट का शिलान्यास कर सकते हैं, जिसकी तैयारी में प्रशासनिक अमला व प्रदेश सरकार जुट गई है.


खुश हैं किसान


ये कहना गलत नहीं होगा कि, जब-जब देश को जरूरत पड़ी तब तब अन्नदाता देश के लिए सबसे आगे खड़े मिले हैं, इसलिए कहा जाता है "जय जवान जय किसान" और इस कथन को ये किसान सच भी साबित कर रहे हैं. किसानों की इस दरियादिली की पड़ताल के लिए एबीपी गंगा की टीम उस गांव नगला गनेशी पहुंची, जहां नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की पहली पट्टी बननी है. गांव की तस्वीर देख हम भी हैरान रह गए क्योंकि अधिकांश घर पूरी तरह गिरा दिए गए थे और जो बचे थे उसे मजदूर तोड़ रहे थे, किसान अपने घर का सामान चारपाई पर रख कर आंगन में लगे हैण्डपम्प पर नहाते हुए दिखे. हम उनके पास पहुंचे और उनसे बात कर उनके दिल का हाल जानने की कोशिश की, तो उनका कहना था कि, किसान हमेशा से देश के लिए कुर्बानी देता आया है और हम खुश हैं कि हम देश के काम आ रहे हैं, हां पुस्तैनी घर छोड़ने का दुःख है, लेकिन उससे कई गुना खुशी है अपने क्षेत्र के विकास के लिए. इस विकास के जरिए युवाओं को रोजगार मिलेगा, प्रदेश का विकास होगा और जब प्रदेश का विकास होगा तो हम किसानों का विकास होगा. 


योगी सरकार पर विश्वास 


वहीं, प्रदेश की योगी सरकार पर विश्वास जताते हुए कहा कि, इस सरकार ने किसी का बुरा नहीं किया तो हमारा क्यों करेगी. सरकार हमे दूसरी जगह बसा रही है और सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, और इसी तरह की तस्वीर सभी सातों गांव की थी लेकिन किसी ग्रामीण की आंखों में हमें घर और गांव टूटने का दुःख नहीं दिखा और हर कोई अपने फैसले से खुश था मानो सभी ने खुशी से अपने घरों और गाँवों को तोड़ने की इजाजत दी हो. 


बसाया जा रहा है नया इलाका 


इसके बाद हमारी टीम जेवर कस्बे के उस जगह पर पहुंची, जहां इन ग्रामीणों को बसाने का काम चल रहा था. काम देखकर ऐसा लगा मानो कई किलोमीटर में कोई शहर बसाया जा रहा हो. सड़क, बिजली, पानी सभी चीजों का विशेष ध्यान रखते हुए निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था और ग्रामीण खुद खड़े होकर निर्माण करा रहे थे, लेकिन इस निर्माण कार्य में एक सबसे अच्छी बात यह थी गांव का विस्थापन किया गया था, उस पूरे गांव को एक साथ ही बसाया जा रहा था. यानी यह कह सकते हैं कि, गांव को खत्म कर ग्रामीणों को निकाल कर एक शहर में बसाने की कोशिश योगी सरकार कर रही थी, और जहां पर ग्रामीणों को बसाया जा रहा था उनकी यादों के लिए उस सेक्टर का नाम भी उनके गांव के नाम से था, जैसे-  नागल फूल खा पाकेट 1 , नगला गनेशी पाकेट 2, नगला शरीफ पाकेट 3, दयान्तपुर खेड़ा पाकेट 4 , किशोरपुरा पाकेट 5 और  रोही पाकेट 6, रखा गया है, ताकि पूरा गांव एक साथ उसी गांव के नाम से रह सके और उनके पुस्तैनी गाँव का नाम खत्म न हो.


देश के विकास में उनकी खुशी 


वहां, मौजूद लोगों से एबीपी गंगा की टीम ने बात की और उनसे यह जानने की कोशिश की कि, आखिरकार अपने घरों को छोड़कर उन्हें कोई पछतावा तो नहीं है. वहां मौजूद लोगों ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वह अपने क्षेत्र के विकास और देश के काम आ रहे हैं. किसान हमेशा से देश की तरक्की के लिए कुर्बानी देता रहा है और आगे भी देता रहेगा इसलिए उन्हें ना तो कोई दुख है और ना ही कोई पछतावा. 


नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए इन सात गांवों जो किसानों ने न सिर्फ अपनी जमीन दी बल्कि अपना घर गांव सब छोड़ दिया और परिवार के इस फैसले से घर के युवा भी काफी खुश नजर आए, उनका कहना था कि नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने से सिर्फ उनके क्षेत्र का ही विकास नहीं होगा बल्कि पूरा उत्तर प्रदेश विकास के पथ पर चल पड़ेगा. रोजगार के नए साधन उपलब्ध होंगे और युवाओं को रोजगार मिलेगा, इसलिए वह इस फैसले से बेहद खुश हैं. 


आपको बता दें, जिन गांव के किसानों का विस्थापन हो रहा वो नगला फूल खां, नगला गनेशी, नगला शरीफ, दयानतपुर, खेड़ा, किशोरपुर व रोही है. और इस गांव का हर किसान अपने फैसले से खुश है और उसे गर्व है कि वो देश के विकास में सहयोग दे रहा है.


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