आगर, नितिन उपाध्याय। आगरा उत्तर प्रदेश का ऐसा शहर है जहां कोरोना संक्रमण के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। एबीपी गंगा यहां कोरोना के बढ़ते मामलों की लगातार रिपोर्टिंग कर रहा था। इसका असर अब सामने आाया है। कोरोना संक्रमण का एपीसेन्टर यहां का निजी अस्पताल पारस रहा। जिसके बारे में एबीपी गंगा ने लगातार खबर दिखायी। आखिरकार जिला प्रशासन ने पारस अस्पताल के प्रबंधन पर कार्रवाई की है। आगरा पुलिस ने निजी अस्पताल के संचालक डॉक्टर अरिंजय जैन और मैनेजर एसपी यादव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अस्पताल पर जानकारी छिपाये जाने और सही रिपोर्ट न देने का आरोप लगा है। आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 271 के तहत केस दर्ज किया गया है। जल्द ही ये गिरफ्तार किये जा सकते हैं।


आपको बता दें कि आगरा में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसके पीछे इस निजी अस्पताल का बड़ी भूमिका मानी जा रही है। अब तक 23 से ज्यादा लोग इस अस्पताल से संक्रमित हुए हैं। आगरा प्रशासन लगातार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहा था। आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण का असर सबसे ज्यादा आगरा में है। यहां संक्रमित मरीजों की संख्या 172 तक पहुंच गयी है।



दरअसल पारस हॉस्पिटल से आगरा में ही 2 दर्जन से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मामले सामने आ चुके हैं। इसके अलावा पड़ोसी जिलों में भी पारस हॉस्पिटल कोरोना फैलाने का बड़ा कारण बना फिर चाहे फिरोजाबाद, मैनपुरी हो या मथुरा, इटावा, फर्रुखाबाद और कन्नौज तक प्रभावित हुये।




कैसे सुपर स्प्रेडर बना, पारस हॉस्पिटल

पारस हॉस्पिटल प्रबंधन ने शुरू से ही लापरवाही बरती, कई सवाल हैं, जो बताते हैं कि कैसे आगरा और उसके आस पास पारस ने कोरोना के तौर पर मौत बांटने की कोशिश की।

पहला सवाल कि पारस हॉस्पिटल से संक्रमण फैलने के बाद यहां मरीजों को रोका क्यों नहीं गया। उनकी तलाश अभी भी चल रही है।

दूसरा सवाल ये कि संक्रमण मिलने के बाद स्टाफ को qaranteen नहीं किया गया। स्टाफ के सदस्य घर गए, वहां संक्रमण फैला।

तीसरा सवाल कि भर्ती मरीजों के सैंपल समय रहते क्यों नहीं लिए गए। दो की मौत के बाद सैंपलिंग की गई। वे संक्रमित मिले और संक्रमण फैलता रहा।

सवाल नंबर चार ये कि स्टाफ के सदस्यों को क्वारंटीन करने में देरी क्यों, अब उनकी सदस्यों की जानकारी दी जा रही है ।

इन सवालों के साथ ही पारस हॉस्पिटल वो प्रॉपर डिटेल नहीं दे पाया, जिसमें प्रशासन ने 22 मार्च से 6 मार्च तक इलाज कराया। और बाद में 8 जिलों में प्रशासन ने मरीजों के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कराई। साथ ही प्रशासन को ये अपील भी करनी पड़ी कि इस अवधि में जो लोग आए वो स्वयं आकर जांच कराएं। कुल मिलाकर पारस हॉस्पिटल पर हुई कार्रवाई उन लोगों के लिए भी सबक है, जो लगातार कोरोना के संकटकाल में लगातार लापरवाही बरत रहे हैं।