आगरा में एबीपी गंगा की खबर का असर..भुखमरी के शिकार परिवार के घर राशन लेकर पहुंचा जिला प्रशासन
आगरा में एक परिवार की करुण व्यथा दिखाने के बाद एबीपी गंगा से जिला प्रशासन के अफसरों ने संपर्क साधा और पीड़ित परिवार के घर राशन लेकर पहुंचा।
आगरा, नितिन उपाध्याय। एबीपी गंगा ने आगरा के परिवार की बुधवार को एक खबर दिखायी थी कि कैसे भुखमरी का शिकार है शहर का ये परिवार। यही नहीं भूख के चलते व इलाज न मिल पाने से एक बेटी की मौत हो गयी थी और दूसरी जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही है। जब आगरा प्रशासन को इसकी खबर लगी तो आज सुबह जिला प्रशासन के लोग घर पर राशन लेकर पहुंचे। एबीपी गंगा संवाददाता नितिन उपाध्याय के पास जिलापूर्ति अधिकारी (डीएसओ) और एसओ न्यू आगरा का फोन आया। इसके अलावा आगरा के सीएमओ ने बीमार बच्ची का इलाज कराने के दिशा निर्देश दिये। अब शहर के कई बड़े डॉक्टर भी पीड़ित बच्ची के इलाज के लिये आगे आये हैं।
आपको बता दें कि एबीपी गंगा ने जूते के फिटर बनाने वाले मजदूर राम सिंह की खबर चलायी थी। जूते के फिटर बनाने वाले राम सिंह का पहले थाना न्यू आगरा क्षेत्र के कौशलपुर में मकान था। पत्नी बबिता को अचानक लकवा मार गया और बुरे वक्त में मकान बिक गया। इसके बाद राम सिंह वाटरवर्क्स चौराहे पर लाल मस्जिद के पास मलिन बस्ती में किराए के एक कमरे में आ गया।
नहीं बची जमापूंजी नोटबन्दी जैसी परेशानी झेलनी के बाद जमापूंजी नाम का शब्द उसके शब्दकोश से हट गया और जैसे तैसे मजदूरी कर वो पत्नी बबिता, 13 साल की बेटी दीपेश, 11 साल की वैष्णवी, सात साल की परी और पांच साल के भारत के साथ जीवन गुजारने लगा। इसी बीच 23 मार्च से जनता कर्फ्यू और फिर लॉकडाउन शुरू हो गया। कमरे के एक कोने में बनी रसोई के सारे बर्तन कब खाली हो गए उसे पता ही नहीं चला।
परिवार से नाराज था भगवान मांग कर गुजर शुरू हुई पर तब तक गैस सिलेंडर भी दम तोड़ गया और अब वो पुलिस चौकी और बस्ती के सामने बने अग्रवन क्वारंटाइन सेंटर से खाने के पैकेटों के जरिये आधा पेट खाकर परिवार के साथ रहने लगा। इतने कष्टों के बीच लॉकडाउन का दूसरा चरण शुरू हुआ तो क्वारंटाइन सेंटर में लोगों ने हंगामा कर दिया। इसके बाद खाने का पैकेट अब सिर्फ पुलिस चौकी से ही मिल पा रहा था और वो भी एक टाइम का पर भगवान शायद परिवार से कुछ ज्यादा ही नाराज था तभी तो उसकी दूसरे नम्बर की बेटी वैष्णवी 11 की तबीयत खराब होने लगी उसका खून पानी जैसा होने लगा। शरीर पीला पड़ गया।
बेटी की मौत मजबूर राम सिंह न उसे भरपेट भोजन दे पाया और न ही उसकी कंगाल जेब बेटी का इलाज ही करवा पाई। बतौर राम सिंह 28 अप्रैल को वैष्णवी ने भूख और इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। लोगों ने थोड़ी-थोड़ी लकड़ी दी और जैसे तैसे यमुना के घाट पर उसके शरीर को आग के हवाले कर दिया गया। इसके बाद उसकी बड़ी बेटी दीपेश में भी वैष्णवी जैसी बीमारी के लक्षण दिखने लगे और वो भी चारपाई पर आ गयी।