UP News: बेसिक शिक्षा विभाग (Basic Education Department) में किताबों की लेटलतीफी के मामले में एबीपी गंगा की खबर का बड़ा असर हुआ है. लगातार एबीपी गंगा प्रदेश के 1 करोड़ 80 लाख छात्र छात्राओं को किताबें ना मिलने का मुद्दा प्रमुखता से उठा रहा है. इसका नतीजा यह रहा एक तरफ तो विभागीय अधिकारी लगातार किताबें सप्लाई करने वाले पब्लिशर्स के साथ बैठकर कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर गुरुवार को राजधानी लखनऊ (Lucknow) से किताबों के वितरण की शुरुआत भी कर दी गई.


एबीपी गंगा की खबर का असर
लखनऊ में निराला नगर कम्पोजिट विद्यालय में तीसरी क्लास के बच्चों को किताब बांटकर इसकी शुरुआत हुई. मौके पर एडी बेसिक डॉ मुकेश सिंह ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बच्चों के पास जल्द से जल्द किताबें बच्चों तक पहुंचा दी जाए. आगे भी जैसे-जैसे किताबों की सप्लाई मिलेगी उसे बच्चों तक पहुंचाया जाएगा. वही किताबें पाकर बच्चे भी काफी खुश और उत्साहित नजर आए. 


लखनऊ से हुई किताब बंटने की शुरुआत
दरअसल एबीपी गंगा ने सरकारी स्कूल में अभी तक किताबें नहीं मिलने की खबर प्रमुखता से दिखाई थी जिसके बाद विभाग ने अपनी किरकिरी होने से बचाने के लिए किताबें बांटनी शुरू कर दी हों लेकिन फिलहाल यह औपचारिकता जैसी ही है. अभी अगर बात करें तो प्रदेश में जितनी किताबें बांटी जानी है उसकी महज 7 फ़ीसदी के आसपास ही सप्लाई हो पाई है. वहीं अधिकतर जिलों में अभी किताबों का वितरण शुरू नहीं हो पाया है. लखनऊ में भी किताबें सिर्फ उसी स्कूल में बांटी गईं, जिस स्कूल परिसर में इन्हें रखने के लिए स्टोर बनाया गया है. जबकि दूरदराज के स्कूलों को किताबें पहुंचाने के लिए अभी ट्रांसपोर्ट को लेकर टेंडर भी होना है, जिसके बाद किताबें बच्चों तक पहुंच पाएंगी. 


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हरकत में आया शिक्षा विभाग


लखनऊ की बात करें तो यहां पर अब तक सिर्फ एक लाख के करीब किताबें ही पहुंची है. जबकि यहां तकरीबन 10 लाख किताबें बांटी जानी हैं. जो 1 लाख किताबें आई है वो भी सिर्फ तीसरी क्लास की है. वहीं इस मामले को लेकर अब शिक्षा विभाग भी हरकत में आता दिख रहा है. डीजी स्कूल एजुकेशन विजय किरण आनंद ने इस मामले को लेकर निविदा समिति साथ बैठक की. उन्होंने बताया कि हम लोग लगातार आपूर्तिकर्ताओं के साथ मॉनिटरिंग कर रहे हैं. हम कोशिश करेंगे जो समय सारणी है उसके अंदर 100 परसेंट किताबों की सप्लाई करें और पढ़ाई को नुकसान न हो.


डीजी ने बताया कि आपूर्तिकर्ताओं ने मार्केट की कुछ समस्याएं और विपरीत परिस्थितियां बताई है. हम लगातार उनके साथ संपर्क में है और दबाव बनाए हैं. जो अनुबंध में उन्होंने कहा है उसके अनुसार होगा. डीजी ने कहा की हमने समय से ही प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन शुरू में टेंडर प्रक्रिया के दौरान कुछ आपत्तियां आई उनका भी निस्तारण किया गया. पिछले कुछ सालों में काफी प्रोसेस रिफॉर्म हुआ है. लेकिन इस बार आचार संहिता भी थी. अन्य कारणों से भी वर्क आर्डर समय से नहीं हो पाया, उस में देरी हुई. लेकिन हमारी पूरी टीम इस में लगी है. शासन से शीर्ष स्तर से मॉनिटरिंग हो रही है, कोशिश है कि जल्द से जल्द सप्लाई हो जाए. 


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