अयोध्या, एबीपी गंगा। अयोध्या में एबीपी गंगा की खबर का बड़ा असर हुआ है। अब से दोबारा श्रद्धालु रामलला को लगने वाला भोग प्रसाद गर्भ गृह तक ले जा सकेंगे। दरअसल, पिछले 27 अक्टूबर से श्रद्धालु रामलला को लगने वाला भोग प्रसाद लेकर गर्भ गृह तक नहीं ले जा पा रहे थे। सुरक्षा कारणों से पहले ये भोग प्रसाद पारदर्शी पन्नी यानी पॉलिथीन में गर्भ गृह तक ले जाया जाता था, लेकिन 27 अक्टूबर से पॉलिथीन के इस्तेमाल पर बैन लग गया है। जिस वजह से रामलला को लगने वाला भोग प्रसाद बंद कर दिया गया था।
ABP गंगा ने इस खबर को प्रमुखता से दिखाया, जिसके बाद प्रशासन को भी झुकना पड़ा है। ABP गंगा की खबर का ये असर हुआ है कि अब प्रशासन ने वैकल्पिक तौर पर भोग प्रसाद के लिए कपड़े के पारदर्शी थैले के इस्तेमाल की छूट दे दी है। इस खबर को सुनकर राम जन्मभूमि दर्शन मार्ग पर हाथ में लेकर प्रसाद बेचने वाले प्रसाद विक्रेताओं के चेहरे पर भी खुशी लौट आई है। अब रामलला के गर्भ गृह में श्रद्धालु प्रसाद लेकर दोबारा जा रहे हैं।
प्रदेश में पॉलिथीन पर बैन लगाने के साथ ही 27 अक्टूबर से रामलला के दरबार में लगने वाला भोग प्रसाद (जो पॉलिथीन में जाता था) उसको भी रोक दिया गया था। जिसके बाद सैकड़ों प्रसाद विक्रेताओं के परिवार के सामने रोजी-रोटी का भी संकट आ खड़ा हुआ था। वहीं, दूसरी ओर दूर-दराज से अयोध्या पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को भी प्रसाद न चढ़ा पाने की वजह से मायूसी का सामना करना पड़ रहा था। क्योंकि न तो श्रद्धालु रामलला में प्रसाद ले जा पा रहे थे और ना ही वहां के पुजारियों के द्वारा उनको प्रसाद दिया जा पा रहा था।
ABP गंगा ने यह खबर प्रमुखता से चलाई और उसके बाद आज यानी 31 अक्टूबर को राम जन्म भूमि प्रशासन ने पारदर्शी कपड़े के थैले में प्रसाद देने की छूट दे दी है। जिसके बाद अब श्रद्धालु रामलला के गर्भ गृह में प्रसाद लेकर जा रहे हैं। दीपावली से मायूस हाथ में प्रसाद लेकर बेचने वाले प्रसाद विक्रेताओं के चेहरे पर भी रौनक लौट आई है। उन्होंने भी रामलला का और अधिकारियों का शुक्रिया अदा किया है। उनके सामने रोजी-रोटी का एक विकट संकट खड़ा हो गया था।
वहीं, रामलला के पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा है किचार दिन तक रामलला के भोग प्रसाद पर रोक लगी रही और इसका कारण था पॉलिथीन के प्रयोग पर रोक। अब श्रद्धालुओं की समस्या का निदान हो गया है। श्रद्धालु भी अपने आस्था के अनुरूप प्रसाद चढ़ा पाएंगे।
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