abp ganga reality check ghaziabad school: प्रधानमंत्री जन विकास योजना के तहत पूरे भारत में अल्पसंख्यक लोगों में साक्षरता बढ़ाने के लिए स्कूलों का लगातार निर्माण किया जा रहा है. जिससे कहीं ना कहीं आने वाले समय में साक्षरता दर तेजी से बढ़ेगी. करोड़ों रुपए की लागत से बनने वाले इन स्कूलों का एबीपी गंगा की टीम हमने रियलिटी चेक किया. उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में जिन स्कूलों का निर्माण कराया गया है, वो 2019 में ही बनकर तैयार हो चुके हैं. जिसको गाजियाबाद के प्रशासन को सौंपा जा चुका है. जिसके बाद मात्र 2 सालों में ही स्कूल जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं.


नहीं हुई है शिक्षकों की नियुक्ति 
हालांकि, स्कूलों में अभी किसी की नियुक्ति नहीं की गई है जिसके चलते स्कूल तैयार होने के बावजूद भी पढ़ाई शुरू नहीं हो पाई है. गाजियाबाद के लोनी के प्रेम नगर में बालिकाओं के लिए स्कूल बनाया गया है. ताकि आसपास की रहने वाली बालिकाओं को स्कूल ना होने की समस्या से जूझना ना पड़े. उनको अपने घरों से ज्यादा दूर स्कूल में पढ़ने के लिए ना जाना पड़े. लेकिन, इस स्कूल में गंदगी का अंबार लगा हुआ है. स्कूल में छात्राओं के जगह भेड़ बकरिया दिखाई दे रही हैं. स्कूल की बिल्डिंग अभी से ही जर्जर होने लगी है. दीवारों में दरारें आ गई हैं. स्कूल में अभी भी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई है.


शासन को लिख रहे हैं पत्र 
हालांकि, गाजियाबाद प्रशासन का कहना है कि वो बार-बार शासन को पत्र लिख रहे हैं और उत्तर प्रदेश सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि इन तैयार हो चुके स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति की जाए. जिससे आने वाले समय में स्कूलों में प्रवेश की प्रक्रिया को शुरू किया जा सके और छात्राओं को पढ़ाया जा सके. लेकिन, अभी तक कोई कार्य नहीं हुआ है.


प्रशासन को देना चाहिए था ध्यान 
इसके बाद एबीपी गंगा की टीम ने हमने गाजियाबाद के लोनी में ही निठोडा रोड के स्कूल का जायजा लिया. ये स्कूल सूनसान इलाके में बनाया गया था. स्कूल के एक तरफ रेलवे ट्रैक था तो वहीं दूसरी ओर नगरपालिका का डंपिंग ग्राउंड था. स्कूल के पास कूड़े का अंबार नजर आ रहा है सामने 20 से 30 फीट दूर ही एक 10 फीट चौड़ा नाला है, जोकि दयनीय हालत में है. ऐसे में ये भी अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर स्कूल को खोला जाए तो यहां नाले में बच्चों की गिरने की दुर्घटनाएं भी हो सकती हैं. इस पर तो रोक लगाई जा सकती है लेकिन डंपिंग ग्राउंड के सामने बने स्कूल में माता-पिता अपने बच्चों को कैसे पढ़ने भेज सकेंगे. सवाल ये भी है कि जिस स्कूल में बच्चों को पढ़ने भेजा जाएगा वहां जाने के बाद बच्चे बीमार नहीं पड़ेंगे. स्कूल की जमीन देखने से पहले क्या प्रशासन को इन बिंदुओं पर ध्यान नहीं देना चाहिए था. 


ये है स्कूलों की सच्चाई 
गाजियाबाद में ऐसे 4 स्कूल बने हैं जिनमें से हमने गाजियाबाद के लोनी के दो स्कूलों की सच्चाई आपको बताई. अब ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में ऐसे जितने भी स्कूल बने होंगे उनके क्या हालात होंगे.



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