प्रयागराज, मोहम्मद मोइन। यूपी में सबसे ज़्यादा आबादी वाला जिला प्रयागराज कोरोना से पूरी तरह मुक्त है। इतना ही नहीं पैंसठ लाख से ज़्यादा की जनसंख्या वाले इस जिले में कोरोना का सिर्फ एक ही पॉजिटिव केस आया था। इंडोनेशिया से आए जिस विदेशी जमाती की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, वह भी कई दिन पहले ही पूरी तरह ठीक हो चुका है। प्रयागराज के पूरी तरह कोरोना से आज़ाद होने के बाद यहां के मैनेजमेंट मॉडल को लेकर पूरे देश में चर्चा हो रही है। यूपी समेत तमाम राज्यों के जिलों में अब यहां के मॉडल को अपनाकर कोरोना से आज़ादी पाने की कवायद की जा रही है। आखिर क्या है प्रयागराज मॉडल और संगम के शहर ने किस तरह की रणनीति बनाकर कोरोना से आज़ादी पाई, पढ़ें एबीपी गंगा की खास रिपोर्ट..


प्रशासन की सख्ती काम आयी


संगम नगरी प्रयागराज यूपी में सबसे ज़्यादा आबादी वाला जिला है। अकेले मार्च महीने में यहां एक हज़ार से ज़्यादा लोग विदेशों से आए थे। नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में सैकड़ों महिलाएं एक छोटे से पार्क में लॉक डाउन लागू होने के बाद तक बैठी हुई थीं। कई दूसरी वजहों से भी यहां कोरोना का संक्रमण तेज़ी से फैलने का खतरा था। 31 मार्च को सात इंडोनेशियाई समेत नौ जमातियों के मस्जिद में छिपे होने, दो अप्रैल को दूसरी मस्जिद से थाईलैंड के नौ जमातियों के पकडे जाने और युनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर का मेडिकल टेस्ट कराए जाने के बाद यहां तो खतरे के बादल खूब मंडरा रहे थे। मस्जिद में छिपे एक इण्डोनेशियाई जमाती की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद तो यहां के लोगों को सिर्फ दुआओं का ही सहारा रह गया था, लेकिन पैंसठ लाख की आबादी वाला प्रयागराज आज कोरोना से पूरी तरह आज़ाद है। इंडोनेशियाई जमाती को छोड़कर किसी में इसका संक्रमण भी नहीं मिला है। यहां अब तक पांच सौ के करीब टेस्ट भी हो चुके हैं, लेकिन अब सारी रिपोर्ट नेगेटिव ही आती है। जिले के कोरोना से आज़ाद होने के पीछे यहां के सरकारी अमले का मैनेजमेंट है तो साथ ही यहां के नागरिकों का संयम और समर्पण।



दरअसल प्रयागराज में सरकारी अमले ने जनता कर्फ्यू के दिन से ही सख्ती बरतने में पूरी ताकत झोंक दी थी। अकेले शहरी इलाके में डेढ़ सौ चौराहों व रास्तों पर चेक पोस्ट बना दिए गए। तमाम सड़कों को बीच से सीलिंग की तरह बैरीकेड कर दिया गया। बड़ी संख्या में रास्तों और गलियों को पूरी तरह सील कर दिया। कुछ स्पॉट को इंटेंसिव लॉक डाउन एरिये में तब्दील कर वहां घरों से बाहर निकलने पर भी पाबंदी लगा दी गई। राशन-सब्जी -दूध और दवा की दुकानों को सुबह छह से रात ग्यारह बजे तक खोले जाने की छूट दी गई, ताकि कहीं भीड़ न इकठ्ठा हो।


जनता का मिला साथ


सोशल डिस्टेंसिंग कायम रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाया गया। बिना परमीशन खाना व दूसरे सामान बांटने पर भी रोक लगा दी गई। होम डिलेवरी पर ख़ासा फ़ोकस किया गया। बिना ठोस वजह के बाहर निकलने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। लॉक डाउन में हर रोज़ तकरीबन एक हज़ार वाहनों का चालान किया गया। अलग अलग इलाकों के लिए अलग अलग प्लान तैयार कराकर उस पर सख्ती से अमल कराया गया। जिले के मेडिकल कालेज में ही कोरोना का टेस्ट होने के बाद तेजी से जांच कराई गई। कई हज़ार लोगों को क्वारंटीन किया गया। क्वारंटीन सेंटर्स में बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराई गईं। यहां लॉक डाउन पर पूरी तरह से अमल हुआ। हालांकि सरकारी अमले से कम अहम योगदान यहां के नागरिकों का नहीं रहा। नागरिकों ने भी सरकारी अमले द्वारा तय की गई किसी भी लक्ष्मण रेखा को नहीं लांघा और लॉकडाउन व सोशल डिस्टेंसिंग पर पूरी शिद्दत से अमल किया।


बहरहाल साफ़ तौर पर कहा जा सकता है कि सरकारी अमले की प्लानिंग और नागरिकों की समझदारी की जुगलबंदी ने प्रयागराज में एक ऐसा मॉडल तैयार किया, जिसने सबसे ज़्यादा आबादी वाले जिले को कोरोना से आज़ाद करा दिया। आज हर तरफ प्रयागराज मॉडल की चर्चा हो रही है। यहां के मॉडल को अपनाकर मंडल के बाकी जिले भी कोरोना मुक्त हो चुके हैं। असली वजह मैनेजमेंट या मॉडल हो या फिर कुदरत की मेहरबानी या कुछ और, लेकिन कोरोना फ्री होने से यहां के लोग राहत की सांस ज़रूर ले रहे हैं।