नवोदय छात्रा की मौत के मामले में मैनपुरी पुलिस ने कराई किरकिरी, एबीपी गंगा की स्पेशल रिपोर्ट
मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा के साथ रेप के मामले में अहम खुलासा हुआ है। इस पूरे मामले में पुलिस की थ्योरी गलत साबित हुई है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की बात की जाये तो पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना लाजमी है
लखनऊ, संतोष कुमार। साल 2012 के निर्भया कांड के बाद से कानून में बदलाव और पुलिसिंग पर उठे सवाल के बाद उम्मीद जगी कि शायद पुलिस का रवैया सुधरेगा, महिला और बच्चों के साथ होने वाले अपराध में पुलिस ज्यादा संवेदनशील होकर जांच करेगी। लेकिन यूपी पुलिस आज भी महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाली वारदातों में अपने पुराने ढर्रे पर लापरवाह बनी हुई है। मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा की मौत का मामला पुलिस की ऐसी ही लापरवाही का नतीजा निकला। मैनपुरी मामले में एफएसएल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई है। एफएसएल रिपोर्ट से इस खुलासे के बाद हड़कंप मचा है और अब डीएनए सैंपलिंग कराकर आरोपी की तलाश की जा रही है।
बीती 16 सितंबर को मैनपुरी के जवाहर नवोदय विद्यालय में 11वीं की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत का मामला पुलिस की लापरवाही के चलते सरकार की किरकिरी का सबब बन गया। लेकिन छात्रा के कपड़ों और पोस्टमॉर्टम के दौरान लिए गये स्वेब में मिले सीमेन से पुलिस की तमाम थ्योरी पर सवाल खड़े हो गए हैं।
कैसे कराई मैनपुरी पुलिस ने सरकार की किरकिरी
16 सितंबर को हुई 11वीं की छात्रा की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस शुरू से ही इस मामले को सिर्फ अवसाद में आत्महत्या का मामला बताती रही। जबकि छात्रा की डॉरमेट्री से बरामद सुसाइड नोट में तमाम घटनाओं और लोगों का जिक्र था जो उसको परेशान कर रहे थे प्रताड़ित कर रहे थे।
मैनपुरी पुलिस कभी छात्रा के परिवार का भरोसा नहीं जीत पाई। घटना के बाद से ही नवोदय विद्यालय प्रशासन से लेकर मैनपुरी पुलिस पर परिजनों को भरोसा नहीं हो पाया। पुलिस कर्मियों के द्वारा शुरुआत में दिए गए बयान और परिजनों की संवेदना को दरकिनार करते हुए अपनी थ्योरी पर कायम रहने के चलते परिवार शुरू से सीबीआई जांच की मांग करने लगा। सरकार ने एसटीएफ को जांच सौंपी तब भी परिवार 10 दिन तक सीबीआई जांच के लिए आमरण अनशन पर बैठा रहा।
परिजनों ने दर्ज कराई एफआईआर में नवोदय विद्यालय की महिला प्रिंसिपल, महिला वार्डन के साथ एक अन्य छात्र को नामजद किया व एक अज्ञात छात्र पर मिलकर साजिश कर हत्या करने और रेप की आशंका जताई।
छात्रा के शव का तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम में एंटी मार्टम इंजरी आई तो पुलिस ने हत्या कर शव को लटकाए जाने की थ्योरी को खारिज कर दिया। पुलिस छात्रा के सुसाइड के पीछे तीन साल पहले हॉस्टल में नमकीन चोरी में पकड़े जाने के अवसाद को वजह बताया। जबकि घटना तीन साल पुरानी थी इस दौरान छात्रा प्रताड़ित होती तो परिवार वालों से कहकर स्कूल छोड़ती, पढ़ाई छोड़ती। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पीएम के दौरान रेप की पुष्टि के लिए छात्रा के कपड़ों और सब से लिए गए स्वैब की एफएसएल जांच हुई तो रिपोर्ट चौंकाने वाली थी। एफएसएल जांच में छात्रा के स्वाब सैंपल और कपड़ों पर सीमेन के कण मिले, धब्बे मिले। यानी मौत से पहले छात्रा के साथ रेप हुआ था।
एफएसएल रिपोर्ट आने के बाद भी मैनपुरी पुलिस की लापरवाही नहीं रुकी। मैनपुरी पुलिस ने रिपोर्ट आने के बाद डीएनए प्रोफाइलिंग कराने की जरूरत नहीं समझी। यानी पुलिस ने उस सुबूत को इकट्ठा करने की कोशिश ही नहीं की जिसके सहारे उस आरोपी की तलाश हो पाती जिसने छात्रा को अपना शिकार बनाया था। मैनपुरी से एसपी और डीएम के हटने की वजह भी डीएनए प्रोफाइलिंग ना कराने की लापरवाही ही बताई गई है।
हालांकि इस कार्रवाई के बाद अब जांच कर रही एसआईटी ने एफआईआर में नामजद आरोपी छात्र के साथ दो अन्य छात्रों और शक के दायरे में आए स्कूल के एक अन्य टीचर का भी डीएनए सैंपल ले लिया है।
जांच से जुड़े रहे एक अफसर की माने तो शक के दायरे में यही चार लोग हैं जिनका डीएनए प्रोफाइलिंग से मैच होते ही छात्रा से जबरदस्ती करने वाले की शिनाख्त और मौत की वजह साफ हो जाएगी।