Moradabad: यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट इन दिनों चर्चा में बनी हुई है, क्योंकि इस रिपोर्ट में कुछ ऐसा बताया जिससे उत्तर प्रदूषण पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (North Pollution Control Board) मानने को तैयार नहीं है. दरअसल यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंट प्रोग्राम ने एक रिपोर्ट जारी की है, ये रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है, यूएन हर साल एनुअल फ्रंटियर रिपोर्ट जारी करता है, और इस रिपोर्ट के मुताबिक पीतल की नगरी कहे जाने वाला मुराबादाबाद सिर्फ पीतल को लेकर प्रसिद्ध नहीं रहा बल्कि ये दुनिया का दूसरा ऐसा शहर है जहां ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) सबसे ज्यादा है.
क्या कहती है रिपोर्ट
दरअसल रिपोर्ट के मुताबिक भारत में को सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाला शहर है वो है मुरादाबाद, वहीं दुनिया का सबसे ज्यादा ध्वनि प्रदूषण वाला शहर बांग्लादेश की राजधानी ढाका है, जहां एक ओर ढाका का डेसिबल 119 है. वहीं मुरादाबाद 114 डेसिबल के साथ सेकंड नंबर पर है, इसके बाद तीसरे नंबर पर पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद है जिसका डेसिबल 105 बताया गया है, वहीं भारत के कई और शहर भी ध्वनि प्रदूषण की रेस में आगे बताए गए जैसे जयपुर, दिल्ली कोलकात्ता.
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यूपीपीसीबी को आंकड़ों पर नहीं है विश्वास
यूएन की इस रिपोर्ट पर यूपीपीसीबी को काफी संदेह है, इस मामले में यूपीपीसीबी के मुरादाबाद के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्र से जब एबीपी न्यूज ने बात की तो उन्होंने कहा यूपीपीसीबी को पता ही नहीं चला कि कब यूएन ने यह आंकड़े लिए है, उन्होंने कहा कि किसी भी शहर के लिए जो नॉर्मल डेसिबल होता है वह 50 से 70 के बीच होता है ,और मुरादाबाद में यह आंकड़ा पिछले कई सालों से 70 ही बना हुआ है, ऐसे में 114 डेसिबल आना अपने आप में संदेह की स्तिथि को बनाता है. उन्होंने बताया कि ऐसे कई जगह होती हैं, ऐसे कई चौराहे होते हैं जहां ध्वनि प्रदूषण थोड़ा ज्यादा होता है और हो सकता है यूएन ने वही के आंकड़ों को दर्ज कर लिया है. 114 डेसिबल ऐसी स्थिति होगी जिसमें आदमी से बहरा हो जाएगा, लेकिन मुरादाबाद में लोग कैसे 114 डेसिबल के साथ ठीक तरीके से रह रहे है, उन्होंने यह भी बताया की देश में ऐसे कई और शहर है. जहां इंडस्ट्रीज ज्यादा है और वहां का डेसिबल ज्यादा होगा और इस हिसाब से मुरादाबाद दूसरे स्थान पर आ ही नहीं सकता है.