बागपतः उत्तर प्रदेश के बागपत में आम लोगों की रक्षा में तैनात थानेदार बेलगाम हो गए हैं. यहां थानों में समय पर न तो मुकदमे दर्ज कर रहे और न ही अफसरों को बड़ी घटनाओं की जानकारी दे रहे हैं. ताजा उदाहरण सामने है रमाला थाना पुलिस का, जहां नौ मार्च को रमाला चीनी मिल परिसर में हुए बवाल को पुलिस पचाने की तैयारी में जुटी हुई है.
यही नहीं बागपत पुलिस कर्मियों ने अफसरों तक को तीन दिन घटना की जानकारी से दूर ही रखा. चीनी मिल अधिकारियों की तहरीर पर मुकदमा दर्ज नहीं किया बल्कि फायरिंग करने वाले आरोपित की तमंचे के साथ फर्जी गिरफ्तारी भी दिखा दी. अफसरों के संज्ञान में मामला आने के बाद पूरे प्रकरण की जांच बैठा दी गई है.
चीनी मिल में हुई थी फायरिंग
बता दें कि नौ मार्च की रात लगभग साढ़े नौ बजे कुछ किसान नशे की हालत धुत होकर बागपत के रमाला सहकारी चीनी मिल में गन्ना तुलवाने पहुंचे और गन्ना यार्ड में लाइन तोड़कर यार्ड सुपरवाइजर के पास पहुंचे और अपना गन्ना तौल कराने के लिए पहले टोकन काटने की जिद पर अड़ गए. इसी बात पर सुपरवाइजर और किसानों के बीच विवाद हो गया.
सीसीटीवी कैमरे में कैद हुई थी वारदात
मामला बढ़ता देखकर एक किसान ने फोन कर अपने गांव से कुछ लोगों को बुला लिया. आरोपियों ने आते ही अवैध असलहे से चीनी मिल में ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी. सुपरवाइजर और दूसरे किसानों ने किसी तरह अपनी जान बचाई. आरोपी असलहे लहराते हुए फरार हो गए. उधर, फायरिंग की यह पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई. इस घटना के बाद चीनी मिल में दहशत का माहौल बना हुआ है. इस पूरी घटना की तहरीर रमाला थाने में 10 मार्च की रात नौ बजे दे दी गई है, लेकिन 11 मार्च की शाम तक मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है.
पुलिस पर लग रहे बचाने के आरोप
बताया जा रहा है कि यह घटना नौ मार्च की रात लगभग साढ़े नौ बजे की है. पुलिस ने रात के समय ही फायरिंग करने के आरोपी प्रियवृत निवासी एलम को हिरासत में ले लिया था, लेकिन इस घटना की जानकारी पुलिस के आला अफसरों को नहीं दी और न ही मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया, बल्कि रमाला थाना पुलिस ने मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर आने से पहले ही अपनी ओर से आरोपी युवक से तमंचा बरामद कर आर्म्स एक्ट में मुकदमा दर्ज कर चीनी मिल के बाहर से उसकी गिरफ्तारी दर्शा दी. जबकि पुलिस ने उसे चीनी मिल के अंदर से ही हिरासत में ले लिया था.
इस घटना को रमाला पुलिस ने अफसरों से भी छिपाए रखा. अब मामला संज्ञान में आने और मुख्य गन्ना अधिकारी की तहरीर थाने में पहुंचने और उसके आधार पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज न करने के मामले को गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले में जांच बैठा दी गई है.
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