Ayodhya Ram Mandir: कांग्रेस से निष्कासित होने के बाद आचार्य प्रमोद कृष्णम कांग्रेस को लेकर हमलावर नजर आ रहे हैं. उन्होंने कांग्रेस द्वारा रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकराने पर एक बार फिर तीखी प्रतिक्रिया दी है. बता दें कि 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के साथ राम मंदिर का विधिवित उद्घाटन हो गया है. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता भेजा था. 10 जनवरी को कांग्रेस कहा था कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल नहीं होंगे.
कांग्रेस से निष्कासित आचार्य प्रमोद कृष्णम की तीखी प्रतिक्रिया
इंडिया गठबंधन में शामिल कई अन्य विपक्षी पार्टियों ने भी राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम से दूरी बनाई थी. कांग्रेस के फैसले का आचार्य प्रमोद कृष्णम ने विरोध किया था. उन्होंने राम मंदिर निर्माण का श्रेय प्रधानमंत्री को देते हुए खुशी जताई थी. अब एक बार फिर उन्होंने बड़ी बात कही है. कांग्रेस से निष्कासित नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने दो टूक कहा कि राम के निमंत्रण को ठुकराने वाली पार्टी को भारत में राजनीति करने का अधिकार नहीं होना चाहिए. कांग्रेस के निकलने से पहले भी आचार्य प्रमोद कृष्णम पार्टी लाइन के खिलाफ बोलकर सुर्खियों में रहे हैं.
'राम के निमंत्रण को ठुकरानेवाली पार्टी का छीना जाए अधिकार'
कांग्रेस से निष्काषित होने के बाद पहली प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा था कि राम और राष्ट्र से समझौता नहीं किया जा सकता. पिछले दिनों आचार्य प्रमोद कृष्णम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. उन्होंने ''श्री कल्कि धाम” के शिलान्यास समारोह में शामिल होने का पीएम मोदी को न्योता दिया था. रक्षा मंत्री राजनाथ से भी आचार्य प्रमोद कृष्णम की हुई मुलाकात ने उत्तर प्रदेश की सियासत में खलबली मचा दी थी. पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी और बीजेपी नेताओं से बढ़ती नजदीकियों पर आखिरकार कांग्रेस को आचार्य प्रमोद कृष्णम के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर होना पड़ा. कांग्रेस ने अनुशासनहीनता की शिकायतों को ध्यान में रखते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम को छह वर्षों के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया.