'किसी का नाम “टीपू” हो तो…?' आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अखिलेश यादव पर साधा निशाना
UP Nameplate Controversy: उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा रूट की दुकानों पर नाम लिखने के आदेश को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव पर निशाना साधा है.
Acharya Pramod Krishnam: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा रूट की सभी खाने-पीने की दुकानों पर नाम लिखने का आदेश दिया है जिसे लेकर सियासत गरमाई हुई है. विपक्षी दलों समेत समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार के इस फरमान पर सवाल उठाए हैं. जिस पर पूर्व कांग्रेस नेता और कल्कि धाम के पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने पलटवार किया है.
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस फ़ैसले का विरोध करते हुए कहा था कि जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना या फत्त है तो उसके नाम से क्या पता चलेगा? जिस पर अब आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सीधा अखिलेश यादव पर निशाना साधा और उनके नाम दूसरे नाम टीपू को लेकर तंज कसा. प्रमोद कृष्णम ने सीएम योगी आदित्यनाथ को टैग करते हुए एक्स पर लिखा- 'किसी का नाम “टीपू” हो तो…?'
अखिलेश यादव पर साधा निशाना
दरअसल टीपू सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का दूसरा नाम हैं. उन्हें घर में इसी नाम से पुकारा जाता था. आचार्य प्रमोद कृष्णम इस मुद्दे पर मुखर होकर बोल रहे हैं. इससे पहले भी उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए अखिलेश यादव को आड़े हाथों लिया था और कहा कि अखिलेश यादव कांवड़ यात्रा से चिढ़ते हैं इसलिए गलत बयानबाजी करते हैं. उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान लोगों की आईडी देखनी चाहिए, ऐसा करना ग़लत नहीं हैं. उन्हें कांवड़ यात्रा पसंद नहीं इसलिए ये लोग योगी सरकार की व्यवस्था का कोस रहे हैं.
इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी सरकार के इस फैसले पर निशाना साधते हुए सवाल किया था कि 'और जिसका नाम गुड्डू, मुन्ना, छोटू या फत्ते है, उसके नाम से क्या पता चलेगा? माननीय न्यायालय स्वत: संज्ञान ले और ऐसे प्रशासन के पीछे के शासन तक की मंशा की जांच करवाकर, उचित दंडात्मक कार्रवाई करे. ऐसे आदेश सामाजिक अपराध हैं, जो सौहार्द के शांतिपूर्ण वातावरण को बिगाड़ना चाहते हैं.'
आपको बता दें कि यूपी के साथ उत्तराखंड में ये भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया है. जिसके बाद विपक्ष आग बबूला हो गया है. सपा-कांग्रेस, बसपा जैसे विपक्षी दल ही नहीं बल्कि रालोद, जेडीयू और एलजेपी जैसे बीजेपी के सहयोगी दलों ने भी इस फैसले को गलत बताया और वापस लेने की मांग की है.
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