प्रयागराज: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन का जन्म संगम नगरी प्रयागराज में हुआ था. अमिताभ के बचपन के करीब 14 साल इसी शहर में बीते. प्रयागराज में वो अपने माता-पिता और भाई अजिताभ के साथ सिविल लाइंस के क्लाइव रोड स्थित बंगले के एक हिस्से में किराए पर रहते थे. अमिताभ की शुरुआती पढ़ाई लड़कियों के स्कूल में हुई थी. पर क्या आप जानते हैं क्यों?


दरअसल, जब अमिताभ के पिता हरिवंश राय बच्चन ने नर्सरी क्लास में उनका एडमिशन शहर के सेंट मेरीज़ कान्वेंट स्कूल में कराया, तब वहां को-एजुकेशन होती थी. लड़के -लडकियां साथ पढ़ते थे, लेकिन दो साल बाद ही वह स्कूल सिर्फ लड़कियों के लिए कर दिया गया. लड़कियों के लिए रिजर्व होने पर उनका एडमिशन सेंट मेरीज से हटाकर ब्वायज़ हाई स्कूल में करा दिया गया. यहां उन्होंने सातवीं क्लास तक पढ़ाई की. इसके बाद वह दून स्कूल चले गए थे.


अमिताभ बच्चन का फूलों वाले बंगले के साथ कनेक्शन
अमिताभ प्रयागराज में क्लाइव रोड स्थित जिस बंगले में किराए पर रहते थे, उसे फूलों वाला बंगला कहा जाता था. बंगले के मालिक पूर्व सांसद श्री शंकर तिवारी और अमिताभ की मां तेजी बच्चन ने इसके लान को खूबसूरती से सजा दिया था. इस बगंले में लगे फूलों और पौधों को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे.


अमिताभ को इस बंगले से आज भी काफी लगाव है. वह आज भी इसका जिक्र करते रहते हैं. वह इस बंगले को खरीदना चाहते हैं. अपने माता-पिता की यादों को सहेजना चाहते हैं, लेकिन बंगले के मालिक इसे बेचने को राजी नहीं हैं. दो साल पहले अमिताभ की बहू ऐश्वर्या राय जब पति अभिषेक और बेटी आराध्या के साथ अपने पिता की अस्थियों के विसर्जन के लिए इलाहाबाद आईं थीं तो बाहर से इस बंगले को देखने गईं थीं. फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित होने के बाद अमिताभ का अपने गृहनगर से सीधा नाता टूट गया था. 1984 में लोकसभा चुनाव लड़ने के दौरान वह फ़िर इलाहाबाद आए. करीब एक महीने तक रहे. सांसद बनने के बाद वह अपने क्षेत्र के विकास को लेकर काफी सक्रिय रहते थे.


बोफोर्स मामले में नाम आने के बाद जब अमिताभ बच्चन को इस्तीफा देना पड़ा तो अपने गृहनगर से उनका नाता हमेशा के लिए टूट गया. इस्तीफा देने के बाद वह साल 2000 में समाजवादी पार्टी द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह में इलाहाबाद आए थे. इसके बाद साल 2003 में पिता हरिवंश राय बच्चन और दिसम्बर 2007 में मां तेजी बच्चन की अस्थियों को संगम में विसर्जित करने के लिए आए थे. 2007 के बाद से वह कभी इलाहाबाद नहीं आए. अमिताभ भले ही इलाहाबाद न आते हों, लेकिन वह अपने शहर को हमेशा याद रखते हैं. खुद को छोरा गंगा किनारे वाला बताते हैं. इलाहाबादी होने पर गर्व जताते हैं.


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