प्रयागराज: फिल्म एक्टर राजपाल यादव ने किसानों और सरकार के बीच चल रहे टकराव को दु:खद बताते हुए दोनों से इस मामले में जिद छोड़ कर जल्द ही बातचीत करने और कोई समाधान निकालने की अपील की है. उनका कहना है कि अन्नदाता ही देश को चलाते हैं, जबकि सरकार को भी देश की आम जनता ने चुना है. ऐसे में किसी का साथ देने या विरोध करने के बजाय वह दोनों से लचीले रुख के साथ बातचीत करने की अपील कर रहे हैं. उन्होंने कहा है कि अगर किसान देश के हैं तो सरकार भी देश के लोगों की है, ऐसे में किसी को भी गलत या सही नहीं ठहराया जा सकता.


देश के मामले में बाहरी लोगों की दखल की जरूरत नहीं


राजपाल यादव ने कहा है कि अगर सरकार और किसान चाहेंगे तो वह दोनों के बीच बातचीत के लिए खुद मध्यस्थता करने को तैयार हैं, लेकिन उनकी यह अपील रहेगी कि किसी भी पक्ष को जिद पर नहीं अड़ना होगा और देश की खातिर फैसला लेना होगा. उन्होंने विदेशी कलाकारों द्वारा किसानों के आंदोलन का समर्थन करने और भारत के खिलाफ आवाज उठाने को पूरी तरह गलत बताया और कहा कि हमारे देश के किसान और सरकार दोनों समझदार हैं. दोनों को यह अच्छे से पता है कि उन्हें क्या करना है और क्या नहीं. देश के मामले में बाहरी लोगों को दखल देने की कोई जरूरत नहीं है. भारत के अंदरूनी मामले में इस तरह की दखलंदाजी की कोई जरूरत भी नहीं है.


नहीं लड़ेंगे चुनाव


राजपाल यादव इन दिनों प्रयागराज के माघ मेले में आए हुए हैं और यहां अपने आध्यात्मिक गुरु देव प्रभाकर शास्त्री उर्फ़ दद्दा जी के पंडाल में रुके हुए हैं. माघ मेले में एबीपी गंगा चैनल से खास बातचीत करते हुए राजपाल यादव ने यह ऐलान किया कि वह अगले कम से कम 12 सालों तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगे. ना किसी दूसरी पार्टी से और ना ही खुद अपनी पार्टी से. उन्होंने यह संकेत भी दिए उत्तर प्रदेश के अगले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ना तो मुकाबले में उतरेगी और ना ही किसी दूसरी पार्टी का समर्थन करेगी. राजपाल यादव ने कहा कि यह जरूरी नहीं कि किसी राजनीतिक दल का गठन सिर्फ चुनाव लड़ने के लिए किया जाए. रचनात्मक काम करने - सामाजिक तौर पर लोगों को जागरूक करने और लोगों से संपर्क करने के लिए भी पार्टी का गठन किया जा सकता है. बिना सत्ता में रहे हुए भी बहुत से काम किए जा सकते हैं.


आस्था की डुबकी


उन्होंने कहा कि आज प्रयागराज में गंगा यमुना और अदृश्य सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगाने और माघ मेले में पूजा अर्चना करने के बाद उन्होंने कोरोना की महामारी और किसान आंदोलन को लेकर छिड़े विवाद के जल्द से जल्द खत्म होने की खास तौर पर प्रार्थना की है. उनका कहना है कि माघ मेले में संगम की रेती पर सच्चे मन से जो भी प्रार्थना की जाती है वह जरूर पूरी होती है. ऐसे में वह यह उम्मीद करते हैं कि देश से जल्द ही कोरोना का खात्मा होगा और साथ ही किसान आंदोलन पर चल रहा गतिरोध भी खत्म होगा और हर तरफ पहले जैसी खुशहाली कायम होगी.


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