प्रयागराज: वाराणसी में भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी शिखर धवन के साइबेरियन पक्षियों को दाना खिलाए जाने का विवाद अभी थमा भी नहीं था कि अब संगम नगरी प्रयागराज में सरकारी अमले की रोक के बावजूद फिल्म एक्टर राजपाल यादव द्वारा प्रवासी पक्षियों को दाना खिलाए जाने का वीडियो सामने आया है. वीडियो में साफ़ दिखाई दे रहा है कि फिल्म अभिनेता राजपाल यादव ने संगम पर आस्था की डुबकी लगाने और पूजा अर्चना करने के बाद काफी देर तक पक्षियों को दाना खिलाया. वह न सिर्फ पक्षियों को दाना खिला रहे थे, बल्कि उन्हें आवाज़ लगाकर अपने पास भी बुला रहे थे. राजपाल यादव जिस वक़्त साइबेरियन परिंदों को दाना खिला रहे थे, उस वक़्त उनके साथ कई और लोग तो थे ही, साथ ही घाट पर बड़ी संख्या में दूसरे श्रद्धालु भी मौजूद थे.
राजपाल यादव पर कार्रवाई हो
राजपाल यादव का वीडियो सामने आने के बाद मेला प्रशासन ने कोई कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साध ली है. दूसरी तरफ मेले में मौजूद संत महात्माओं और श्रद्धालुओं ने राजपाल यादव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग की है. शिव योगी मौनी महाराज का कहना है कि अगर पक्षियों को दाना खिलाने पर रोक है और नियम तोड़ने वाले दूसरे लोगों के खिलाफ कार्रवाई किये जाने का प्रावधान है तो राजपाल यादव के खिलाफ भी कार्रवाई होनी ही चाहिए, क्योंकि क़ानून सबके लिए बराबर है और राजपाल यादव क़ानून से ऊपर नहीं हैं.
पक्षियों को दाना खिलाने पर रोक
गौरतलब है कि प्रयागराज के संगम पर भी हर साल हज़ारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी आते हैं. माघ मेला शुरू होने से पहले ही इस बार बर्ड फ़्लू की बीमारी फ़ैल गई थी. मेले के दौरान संगम पर रोज़ाना हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, इस वजह से सरकारी अमले ने इस बार प्रवासी परिंदे कहे जाने वाले साइबेरियन पक्षियों को दाना खिलाने पर रोक लगा दी थी. रोक के बावजूद दाना खिलाने पर कार्रवाई किये जाने और जुर्माना वसूलने का एलान किया गया था. जल पुलिस की टीम को इसकी निगरानी का जिम्मा सौंपा गया था.
मेल प्रशासन भी जिम्मेवार
मेले में पक्षियों का दाना बेचने पर भी पाबंदी लगा दी गई थी. इस रोक का लाउडस्पीकर के ज़रिये खूब प्रचार प्रसार भी किया गया था. इसके बावजूद अभिनेता राजपाल यादव ने न सिर्फ सरेआम पक्षियों को दाना खिलाया, बल्कि घाट पर मौजूद सरकारी नुमाइंदों ने भी उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की. इस मामले में जितनी ग़लती राजपाल यादव की है, उससे कहीं ज़्यादा मेला प्रशासन की.
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