UP News: उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में आदिपुरुष (Adipurush) फिल्म का टीजर लॉन्च होने के बाद शुरू हुआ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. कई लोगों को फिल्म के डायलॉग पसंद नहीं आ रहे हैं तो कुछ लोगों को भगवान राम (Lord Ram) बने अभिनेता प्रभास (Prabhas) का लुक पसंद नहीं आ रहा है. फिल्म की आलोचना और तारीफ के बीच राम की नगरी अयोध्या हनुमानगढ़ी के संत भी दो खेमे में बंटे नजर आ रहे हैं.


मूल रामायण का विरोध बताते हुए आदिपुरुष फिल्म का विरोध भारत से लेकर नेपाल तक हो रहा है. फिल्म को लेकर सबसे अधिक विरोध उसके डायलॉग हैं. विरोध कर रहे लोग इसमें कुछ शब्दों को लेकर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं. वहीं हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास जो हिंदुत्व को लेकर खासे मुखर रहे हैं, वह फिल्म को लेकर हो रहे इस तरह के विरोध को सही नहीं मानते. हालांकि, दबे शब्दों में ही सही फिल्म के डायलॉग को लेकर वह भी इशारा करते हैं लेकिन कहते हैं इस फिल्म के आपत्तिजनक शब्द भी सही हो रहे हैं. रामचरितमानस या भगवान राम का अपमान जैसा कुछ नहीं है.


'आदिपुरुष फिल्म है सीरियल'


महंत राजू दास ने कहा कि पूरे देश में जिस तरह से फिल्म आदिपुरुष के नाम पर वामपंथी-कट्टरपंथी जो कभी रामचरितमानस जलाने, फाड़ने और प्रतिबंध लगाने की बात करते थे, जो हवस का पुजारी, देवता, मां काली के होंठ में सिगरेट पकड़ा देना और भगवान शंकर को गली-गली में ढूंढने जैसी फिल्में बनाते थे तो आप लोग कभी नहीं बोलते थे. आदिपुरुष एक फिल्म है, वह कोई सीरियल नहीं है लेकिन उसमें कुछ शब्द ऐसे हैं, कुछ आपत्तियां हैं, मनोज मुंतशिर ने कहा कि ने इसमें सुधार करेंगे.


राजू दास ने कहा कि कट्टरपंथी-वामपंथी गैंग एक्टिव हो गया है और आदिपुरुष को फिल्म के तरीके से देखिए, जिस प्रकार से मैंने भी देखा है. इसमें भगवान राम का अपमान नहीं, रामचरितमानस का अपमान नहीं है लेकिन कुछ शब्द ऐसे हैं, जिसको लेकर सबके मन में एक भाव है कि कुछ शब्द गलत है, वह शब्द ठीक हो रहा है लेकिन इस तरह से विरोध ठीक नहीं है.


सेंसर बोर्ड पर उठे सवाल


वहीं हनुमानगढ़ी के सबसे प्रभावशाली संत और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष रहे महंत ज्ञान दास के शिष्य और अखिल भारतीय संकट मोचन सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय दास इस फिल्म के डायलॉग पर सीधी नाराजगी जताते हैं. इसको लेकर सीधे तौर पर सेंसर बोर्ड को कटघरे में खड़ा करते हैं. अयोध्या के साधु-संत इसको नकारते हैं और पूरी तरह से विरोध करते हैं. अयोध्या भगवान श्री राम की नगरी है. रामानंद सागर की ओर से जो रामायण बनाई गई, उसमें जितने भी पात्र थे, किस तरह से थे. उसमें हर चीज को दिखाया गया है.


संजय दास ने आगे कहा कि आज की जो मूवी है उसमें सेंसर बोर्ड को सोचना चाहिए कि जन भावनाएं इस फिल्म से आहत तो नहीं हो रही है. इसीलिए पूरे प्रदेश में इसका विरोध हो रहा है. पहले यह जानकारी नहीं रहती थी कि किस पात्र को कैसे चुना जाएगा और कैसा रहेगा, उनको तो लगा की मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के ऊपर फिल्म बन रही है तो उसके अनुरूप ही होगी लेकिन यह तो सेंसर बोर्ड को सोचना चाहिए की फिल्म ऐसी होनी चाहिए कि जन भावना आहत न हो.


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