कानपुर: कानपुर का मूक-बधिर आदित्य धर्मांतरण गैंग का हथियार बनने के बाद खुद इस्लामिक ट्रेनर बन गया. इस्लामिक ट्रेनर बनकर कैसे वो अपने साथ पढ़ने वाले बच्चों को बहलाने और फुसलाने लगा. आदित्य ने अपने साथियों के दिमाग में ऐसा कौन सा ज़हर भरा दिया कि वो अपने धर्म और पूजा पद्धति से नफरत करने लगे. हिन्दू धर्म की ऐसी कौन सी खामियों के जरिये झूठ और फरेब का जाल बुना गया जिसके बाद आदित्य यानी अब्दुल के साथी घर से बगावत पर उतारू हो गए. आदित्य के साथ पढ़ने वाले और गुजैनी में रहने वाले बच्चे को आखिर इस्लाम से इतना प्रेम और हिन्दू धर्म से इतनी नफरत क्यों हो गई कि वो हिन्दू धर्म की अच्छाइयों को दरकिनार कर धर्मांतरण गैंग के मुल्ला, मौलवियों की बातों में उलझ गए. 
 


इस तरह इस्लाम की तरफ प्रेरित किया


कानपुर के गुजैनी का रहने वाला एक बच्चा भी धर्मांतरण गैंग चपेट में अप्रत्यक्ष तौर से आ गया था. आदित्य यानी अब्दुल ने अपने एक साथी को इस्लाम की तरफ प्रेरित किया और दूसरे साथी के परिजनों की माने तो पहले साथी ने दूसरे साथी को इस्लाम की तरफ प्रेरित करने में पूरा जोर लगा दिया. आदित्य से धर्मांतरण गैंग की नापाक शिक्षा लेकर पहले साथी ने दूसरे दोस्त को कई मौलानाओं के वीडियो देखने के बाद मस्जिद के, नमाज पढ़ते हुए और मौलानाओं के साइन लैंग्वेज में तकरीर करते हुए वीडियोज भेजे थे, जिन को देखने के बाद इसने भी पूजा पाठ बन्द कर दिया था. इसपर परिजन बहुत परेशान हो गए. परेशान होकर परिजनों ने गोविंद नगर थाने का रुख किया. 


इस मामले को पुलिस ने किसी तरह निपटाया


तत्कालीन CO ने  दूसरे दोस्त के परिजनों की शिकायत पर पहले साथी और उसके परिजनों को थाने बुलाया. परिजनों की माने तो यहां पर ही खुलासा हुआ कि पहले साथी ने आदित्य के प्रभाव में आकर इस्लाम धर्म की तरफ दूसरे साथी को प्रेरित किया. गोविंद नगर थाने में पुलिस ने पंचायत करवाई सभी के परिजनों को बुलाया गया. तीन परिवारों के परेशान परिजनों को पुलिस ने समझाया और कड़ी ताकीद दी. जिसके बाद मामला बिना FIR के निपट गया. जिसके बाद इन तीनों का कोरोना के चलते कोई संपर्क नहीं हो पाया, लेकिन इस बात से स्पष्ट है कि भोले भाले मासूमों को अपने घिनौने कृत्यों को अंजाम देने के लिए हथियार की तरह इस्तेमाल किया गया, और इसी के बाद आदित्य का इस्लामिक ट्रेनर रूप सामने आया. 


पहले ही ये मामला सामने आ जाता...अगर


एक बात ये भी है कि, आदित्य यानी अब्दुल के दोनों साथियों के घरवालों को धर्मान्तरण गैंग की करतूतों का वक़्त पर पता चल गया, और उन्होंने अपने बच्चों को प्यार से समझा बुझाकर किसी बहकावे में नहीं आने को तैयार कर लिया. हालांकि, इस पूरे मामले में एक बात अखरने वाली ये है कि परिजनों ने मामले में FIR नहीं करवाई और पुलिस ने भी इसे आम बात समझते हुए ध्यान नहीं दिया. वरना ये मामला बहुत पहले ही खुल गया होता और धर्मांतरण गैंग की नापाक साज़िश देश और दुनिया के सामने पहले ही बेनकाब हो गई होती.


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