आगरा, नितिन उपाध्याय। आगरा प्रशासन और जनप्रतिनिधि किस तरह संवेदनहीन हैं, ये इस बात से पता चलता है कि स्वतंत्रता दिवस के दिन भी कोई अधिकारी या सांसद, विधायक पुलवामा हमले में शहीद कौशल कुमार के यहां नहीं पहुंचे। साथ ही, कई सारी घोषणाएं अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। एबीपी गंगा की टीम जब कौशल कुमार के घर पहुंची, तो शहीद की मां और उनकी पत्नी भावुक हो उठे।



शहीद कौशल की मां अपने बेटे की तस्वीर हाथ में लिए रोती रहती हैं। इन्हें उम्मीद थी कि इनके बेटे कौशल कुमार की शहादत के बाद इनके प्रति प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि संवेदनशीलता दिखाएंगे, लेकिन समय के साथ सभी ने इनका साथ छोड़ दिया है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर शहीद कौशल कुमार के गांव कहरई ना कोई अधिकारी पहुंचा और ना ही कोई जनप्रतिनिधि। एबीपी गंगा से बात करते हुए उनकी मां के आंखों से आंसुओं का सैलाब बह निकला।  कौशल के पिता बेटे की मौत के बाद से सदमे में है। पत्नी ममता रावत प्रशासनिक उपेक्षा से काफी सदमे में और आक्रोशित भी हैं।



कौशल कुमार की पत्नी ममता रावत कहती हैं कि उनकी शहादत के वक्त बड़े-बड़े वादे किए गए थे, लेकिन समय के साथ सबने मुझे अकेला छोड़ दिया। शहीद स्मारक के नाम पर केवल दीवार खड़ी कर दी गई है। संपर्क मार्ग कच्चा पड़ा हुआ है और पुलवामा हादसे के वक्त जो आर्थिक घोषणाएं हुई, वो भी हवा हवाई ही निकली। शहीद की पत्नी ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि स्वतंत्रता दिवस के दिन कोई भी प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि उनके घर नहीं पहुंचा। इतना ही नहीं, शहीद कौशल की पत्नी ममता रावत ने चेतावनी दी है कि मुझे ऐसे ही प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से लॉलीपॉप पकड़ाया गया, तो मैं धरने पर बैठूंगी।




शहीद की मां सुधा रावत का कहना है कि उसकी शहादत के 13 दिनों बाद जरूर भीड़ लगी रही, लेकिन अब कोई नहीं आता। तब बड़ी बड़ी बातें सरकार ने जरूर की, लेकिन अब सब भूल गए। वहीं, शहीद के पिता अभिषेक रावत ने कहा कि हमारे पास आना तो छोड़िए एक सिंगल कॉल भी नहीं आई। तब तमाम घोषणाएं हुई, 6 महीने गुजर गए, शहीद स्मारक भी नहीं बना। एमएलए का कहना है कि हम कर रहे हैं लेकिन कुछ नहीं हो रहा। सरकारी स्कूल के बच्चे भी घर आये, लेकिन सरकारी मुलाजिम कोई नहीं आया।




वहीं, इस पूरे मामले में अधिकारी कैमरे पर बोलने से बच रहे हैं, लेकिन स्थानीय सांसद एसपी सिंह बघेल का कहना है कि परिवार के प्रति वह संवेदनशील हैं, जल्द उनकी सभी समस्याओं के निदान के लिए अधिकारियों से बात करूंगा। उन्होंने कहा कि  कुछ मायनों में दर्द जायज है। 25 लाख सरकार ने दिया है। एक सैनिक के शहीद होने का जो शासनादेश है, उसका पालन जरूर होगा। जो शहीद के लिए है, वो योजनाएं जरूर पूरी होंगी। जो आधे-अधूरे काम है। संबंधित अधिकारियों से मिलकर जरूर पूरे होंगे।


गौरतलब है कि शहीदों के परिवार के लिए घटना के वक्त बड़ी बातें करने वाले नेता और अधिकारी समय के साथ उन्हें भुला देते हैं, कौशल कुमार रावत के मामले में भी यही होता दिख रहा है।


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