Joshimath News: उत्तराखंड में जोशीमठ आपदा के बाद अब एक नई और हाईटेक तकनीक से शहर और उसके आसपास के इलाकों का लाइडर सर्वे किया जा रहा है. इससे आसमान से ही हेलीकॉप्टर पर लगे उपकरणों से जमीन की स्पष्ट तस्वीर निकल जाएगी. इससे यह जानकारी मिलेगी की जमीन का रास्ता कैसा है,कहां गड्ढे हैं,जमीन के ऊंचाई और ढलान साथ ही नदी और नाले कहां-कहां पर हैं. इससे जोशीमठ की एक स्पष्ट तस्वीर वैज्ञानिक तैयार कर रहे हैं. ये तस्वीरें जोशीमठ को बसाने के लिए बेहद कारगर साबित होंगी.
आइये समझते हैं लाइडर तकनीक को
- हेलीकॉप्टर से लेजर बीम धरती पर छोड़ी जाती है.
- लेजर बीम के जरिए धरती को स्कैन किया जाता है.
- इस तकनीक से स्पष्ट थ्रीडी फोटो खींची जाती हैं.
- आपदा के लिए बहुत कारगर है लाइडर तकनीक.
- इस तकनीक से जोशीमठ इलाके की थ्री डी मैपिंग हो जाएगी.
- जोशीमठ में क्षतिग्रस्त इलाके की तस्वीर होगी साफ.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
सिंगापुर के एशियन सिस्मोलॉजिकल कमीशन के निदेशक परमेश बनर्जी के साथ वैज्ञानिकों की एक टीम इस वक्त जोशीमठ में लाइडर तकनीक से सर्वे कर रही है.इस सर्वे से जोशीमठ को लेकर आगे किस तरह से काम किए जाएंगे, इसकी स्थिति साफ हो जाएगी. विदेशों में इस तकनीक का इस्तेमाल होता रहा है अब जोशीमठ में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.
परमेश बनर्जी बताते हैं कि ये तकनीक नासा से शुरू हुई थी,डेवलप कंट्री में इसे किया जाता रहा है. 3डी मॉडल के लिए ये सबसे बेहतर तकनीक में से एक है. पहले के सर्वे से इतनी सटीकता नहीं आ पाती थी, लेकिन इस तकनीक से लेजर बीम द्वारा जमीन की ऊपरी स्पष्ट तस्वीर,कहां पर क्या स्थिति है सामने आ जाती है.
जोशीमठ की बसावट
जोशीमठ की आपदा आए लंबा समय हो चला है,हालांकि अभी तक इस आपदा के स्पष्ट कारण किसी के सामने नहीं आ पाए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि इस सर्वे के बाद जोशीमठ को लेकर स्थिति बहुत हद तक साफ हो सकेगी. खासतौर पर जोशीमठ में लोगों को बसाने और यहां के लिए आगे का क्या करना है, इसका प्लान तैयार किया जा सकता है.इसको लेकर चीजें स्पष्ट रूप से सामने आ सकेंगी.
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