अयोध्या, एबीपी गंगा। जय श्रीराम के जयकारे से खफा रहने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अयोध्या के संत भी जय श्रीराम अंकित पोस्टकार्ड भेजेंगे। संतों का मानना है कि इससे उनकी भगवान राम के प्रति आस्था बढ़ेगी। अयोध्या में गुरुवार को तपस्वी जी की छावनी के महंत परमहंस दास ने हवन पूजन कर इसका एलान किया। महंत ने बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नाम अयोध्या से 11000 जय श्री राम अंकित पोस्टकार्ड भेजे जाएंगे।
पाबंदी तो रावण और बाबर भी नहीं लगा सके
महंत परमहंस दास ने जय श्री राम का नारा लगाने पर ममता बनर्जी के विरोध को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि जय श्री राम का नारा भारत में नहीं लगेगा तो क्या बांग्लादेश व पाकिस्तान में लगेगा। इस मौके पर राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य डॉ रामविलास दास वेदांती ने कहा कि जय श्रीराम पर पाबंदी तो रावण और बाबर जैसे आतताई भी नहीं लगा सके तो ममता बनर्जी की क्या मजाल है।
जल्द शुरू होगा मंदिर का निर्माण कार्य
रामविलास दास वेदांती ने मोदी और योगी सरकार पर विश्वास जताते हुए यह एलान किया कि 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पूर्व राम जन्मभूमि पर मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। इस मौके पर मौजूद बीजेपी के सह मीडिया प्रभारी आकाश मणि त्रिपाठी ने कहा जय श्री राम अंकित अयोध्या से भेजे जाने वाले पोस्टकार्ड की संख्या निकट भविष्य में 11,000 से कई गुना अधिक हो सकती है इस दौरान बड़ी संख्या में साधु संत मौजूद रहे।
संतों ने भेजी श्रीरामचरितमानस
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में 'जय श्री राम' के नारों को लेकर छिड़ी जंग में वाराणसी के संत भी कूद पड़े थे। सोमवार को संतों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डाकघर से पोस्ट के जरिए श्रीरामचरितमानस भेजी थी। इस दौरान महंत बालक दास ने कहा था कि, 'ममता बनर्जी को प्रभु श्रीराम के नाम से एलर्जी हो गई है। काशी ऐसी नगरी है, जो विश्व का मार्गदर्शन करती है। ऐसे में यहां के संतों की कोशिश ममता बनर्जी को सही मार्ग दिखाने और हिंदुत्व के प्रति गलत भावना खत्म करने की है।'
श्रीरामचरितमानस का अध्ययन करें ममता
महंत बालक दास ने यह भी कहा था कि, 'श्रीरामचरितमानस ममता बनर्जी को पोस्ट करके निवेदन किया गया है कि वह उसका अध्ययन करें। रामचरित मानस में भाईचारे और सौहार्द के साथ सभी को साथ लेकर चलने की बात कही गई है। ममता बनर्जी राजा के रूप में हैं और राजा का जनमानस के साथ कैसा व्यवहार होना चाहिए, यह भी श्रीरामचरितमानस में बताया गया है।'