UP Politics: 'मुसलमानों को बरगलाएंगे तो मिलेगा करारा जवाब', AIMIM का ओपी राजभर पर बड़ा हमला
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने ओपी राजभर को लेकर कहा कि वह विश्वसनीय नहीं हैं. पार्टी ने कहा कि राजभर मनोरंजन व मसखरापन तो कर सकते हैं, लेकिन किसी के साथ साल भर से ज़्यादा नहीं रह सकते.
UP News: मायावती (Mayawati) की बसपा बाद अब असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने भी ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं. ओवैसी की पार्टी का कहना है कि राजभर किसी के सगे नहीं हैं. यूपी की सियासत में उनकी हैसियत नचनिया व जोकर की तरह हो गई है. उन्हें अब कोई भी गंभीरता से नहीं लेता. एआईएमआईएम के प्रवक्ता मोहम्मद फरहान का कहना है कि राजभर को सीबीआई और ईडी का डर सता रहा है. जेल जाने से बचने के लिए ही वह बीजेपी (BJP) का हमदर्द होने का दिखावा कर रहे हैं. मुसलमानों से बीजेपी को वोट देने की अपील कर रहे हैं.
अपने मनोरंजन से बीजेपी को खुश करें राजभर : AIMIM
फरहान के मुताबिक़ ओम प्रकाश राजभर बेवजह मुसलमानों का ठेकेदार बनने की कोशिश में लगे हुए हैं. मुसलमानों को उन पर कतई यकीन नहीं है. बेहतर होगा कि वह जेल जाने से बचने के लिए बीजेपी नेताओं को अपने मनोरंजन के ज़रिए खुश करते रहें. हो सकता है कि बीजेपी के नेता खुश होकर उन पर मेहरबान हो जाएं. जिस तरह उन्हें वाई कैटेगरी की सिक्योरिटी दी है, उसी तरह उन्हें एनडीए का हिस्सा बनाकर उन्हें फिर से मंत्री बना दिया जाए. फरहान का कहना है कि राजभर कतई विश्वसनीय नहीं हैं. मायावती यह बात अच्छे से जानती हैं, इसी वजह से उन्होंने आकाश आनंद के ज़रिये उनकी असलियत खोलकर रख दी और साथ ही यह भी बता दिया कि उनके लिए कोई जगह नहीं हैं.
मुसलमानों के न बनें ठेकेदार : AIMIM
एमआईएम प्रवक्ता फरहान का कहना है कि ओम प्रकाश राजभर को जो करना हो करें, लेकिन वह मुसलमानों का ठेकेदार बनने की कोशिश कतई न करें. अगर वह बेवजह मुसलमानों को बरगलाने की कोशिश करेंगे तो उन्हें मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा. उनके मुताबिक़ ओम प्रकाश राजभर मनोरंजन व मसखरापन तो कर सकते हैं, लेकिन किसी के साथ साल भर से ज़्यादा नहीं रह सकते. अब उन्हें कोई भी पसंद नहीं करता.
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अतीत में इन पार्टियों से जुड़ चुके हैं राजभर
उल्लेखनीय है कि राजभर ने एबीपी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में यूपी के मुसलमानों से लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट देने की अपील की थी. सियासी गलियारों में चर्चा है कि वह अब बीजेपी के करीब आना चाहते हैं. हालांकि बीजेपी से उनका एक बार पहले ही अलगाव हो चुका है. बीजेपी से अलग होने के बाद उन्होंने ओवैसी समेत कई दूसरे नेताओं के साथ मोर्चा बनाया. फिर उसे छोड़कर अखिलेश यादव के साथ चले गए. अखिलेश के साथ भी वह सिर्फ छह महीने ही रह सके. अखिलेश से अलग होने के बाद बीएसपी ने भी उनके लिए अपने साथ समझौते के रास्ते बंद कर दिए.
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