Agra News: केंद्रीय खुफिया एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो के इनपुट पर आगरा पुलिस ने 32 बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया है. ये सभी आगरा में अवैध तरीके से रह रहे थे जिसके बाद इन्हें जेल भेज दिया गया है. इनमें 15 पुरुष, 4 बच्चे और बाकी महिलाएं हैं, लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि आगरा शहर के बीच कई जगहों पर इस तरह की झुग्गियां हैं जहां बड़े स्तर पर अवैध तरीके से बांग्लादेशियों के रहने का इनपुट खुफिया एजेंसियों को है.
आगरा प्रशासन अब बड़े स्तर अभियान चलाने का प्लान तैयार कर रहा है. इसके साथ ही बांग्लादेशियों के बाद आगरा में लापता हुए चार पाकिस्तानियों की तलाश भी तेज कर दी गई है. एक तरफ आवास विकास कालोनी के सेक्टर 14 से इन बांग्लादेशियों की गिरफ्तारी के बाद पुलिस की खुफिया एजेंसी लोकल इंटेलिजेंस की सक्रियता पर सवाल खड़े हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय खुफिया एजेंसी ने जो रिपोर्ट भेजी है, उसमें सैकड़ों की तादाद में बांग्लादेशियों के रहने की बात कही गई है.
बंग्लादेशी घुसपैठियों के पकड़े जाने से हड़ंकप
एबीपी गंगा की टीम ने आज जब मौके का जायजा लिया, तो देखा कि जहां से बांग्लादेशियों की अरेस्टिंग हुई है, वहां उस झुग्गी में सन्नाटा पसरा हुआ है, इधर उधर कूड़ा बीनकर या खरीदकर लाया कबाड़ बिखरा पड़ा है. मौके पर पड़ोस की झुग्गी में मौजूद लोगों से बात की तो दोनों का कहना था कि वो बंग्लादेशी है लेकिन असम और पश्चिम बंगाल से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने अपने पहचान पत्र भी दिखाए.
शहर के बीचों बीच पॉश कॉलोनी में खाली पड़े मैदान में रह रहे झुग्गियों में रह रहे लोगों पर पर खुफिया एजेंसियों और आगरा पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है, लेकिन वहां मौजूद स्थानीय महिला का कहना है कि इन लोगों पर पुलिस नजर नहीं रख रही है. ये ज्यादातर बांग्लादेशी कबाड़ बीनने से लेकर ऐसे ही छोटे मोटे काम करते हैं. पुलिस को पूछताछ में पता चला है कि ये लोग आपसी विवाद अपनी पंचायत में ही निपटा लिया करते थे, ताकि थाने तक जाना ना पड़े क्योंकि अगर मामला पुलिस तक पहुंचेगा तो राज खुल जाएगा.
बड़े स्तर पर अभियान चलाने की तैयारी
ये बांग्लादेश के लोग हिंदी जानते हैं लेकिन उनके बात करने का लहजा थोड़ा अलग तरह का होता है. ये टीवी और फिल्मों के जरिए हिंदी को अच्छे से सीखते हैं ताकि वो स्थानीय ही नजर आएं. पुलिस जानकारी के मुताबिक बांग्लादेशियों को जो भी एजेंट घुसपैठ कराता है, वह बता देता है किस शहर में कहां जाना है. एजेंट को पता रहता कि किस शहर में कहां-कहां बांग्लादेशियों की बस्तियां है और लगभग सभी कबाड़ बीनने का ही काम करते हैं और जो लोग पढ़े लिखे हैं वह किसी कंपनी या हॉस्पिटल जैसी जगहों पर काम करना शुरू कर देते हैं.
आईबी की सूचना पर बांग्लादेशियों की धरपकड़ की जो बड़ी कार्रवाई हुई है, उसमें ये जानकारी सामने आई है ये साल 2019 में मथुरा में पकड़ा गया कुर्बान शेख साल 2015 में पहली बार भारत आया था और नई बस्ती मथुरा में रहने लगा था वहीं उसने आधार कार्ड बनवाया और साल 2019 में पुलिस ने जेल भेज दिया था. बांग्लादेश में भयंकर बेरोजगारी है इसलिए दोबारा घुसपैठ करके फिर से आगरा आ गया. उसे ये पता था दोबारा अगर पुलिस ने पकड़ा छूटने की कोई गुंजाइश नहीं है.
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