UP News: दशहरा (Dussehra) से एक महीना पहले हर साल आगरा (Agra) की रामलीला (Ramleela) के लिए रावण (Ravan), मेघनाद (Meghnad) और कुंभकर्ण (Kumbhkarn) का पुतला बनाने का काम शुरू हो जाता है. यहां के मुस्लिम कारीगर जफर अली (Jafar Ali) और उनके परिवार को इसकी जिम्मेदारी सौंपी जाती है ताकि विजयदशमी (Vijaya Dashmi) के दिन पुतला दहन किया जा सके. जफर अली की पांच पीढ़ियां पुतला बनाने का काम कर रही हैं.
जफर अली को किया जाता है सम्मानित
जफर अली (75) ने कहा, 'आगरा रामलीला समिति के सदस्य हमें पुतले बनाने के लिए बुलाते हैं और अलग-अलग आकार के पुतले बनाने के लिए हम करीब एक महीने तक रामलीला मैदान में ही ठहरते हैं.' रामलीला समाप्त होने के बाद समिति अली और उनके परिवार को सम्मानित भी करती है. अपने कौशल के बारे में बात करते हुए अली ने बताया, 'मैं बचपन से इस पेशे में हूं. अब हमारे परिवार की पांचवीं पीढ़ी इस पेशे में है. पहले मैं अपने दादा और पिता के साथ आया करता था और अब मैं परिवार के अन्य सदस्यों और कामगारों की अगुवाई कर रहा हूं.' उन्होंने बताया कि उनके परिवार में 18 सदस्य हैं और सभी पुतले बनाने में कुशल हैं.
कोविड के बाद इस साल फिर मिला कला दिखाने का मौका
अली ने बताया, 'कोविड-19 के कारण दो साल बाद इस बार रामलीला का आयोजन किया जा रहा है. रावण का पुतला करीब 100 फुट ऊंचा है. कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला 65 और 60 फुट ऊंचा है. पुतलों की ऊंचाई समिति की मांग पर निर्भर करती है.' उन्होंने बताया कि हर साल पुतले की ऊंचाई अलग-अलग होती है. अली ने बताया, 'पुतलों को बनाने में करीब एक महीने का समय लगता है. ये पुतले रंगीन कागज, जूट की रस्सियों, आटे से बने गोंद (लेई) और बांस की कमाची से बनाए जाते हैं.' अली ने कहा कि कोविड के बाद फिर से यहां आकर उनके परिवार को अच्छा लग रहा है. उन्होंने कहा, 'इस साल सभी खुश हैं, क्योंकि हमें अपनी कला दिखाने का मौका मिल रहा है.'
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